हिमालयन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल प्रदेश को बीती बरसात में हुई भयंकर जैसी आपदाओं का सामना कर पड़ रहा है। बीते कुछ वर्षों से तापमान में अचानक से बडे़ बदलाव देखने को मिल रहें हैं जिसका सीधा असर प्रकृति के साथ मानवता पर भी देखने को मिल रहा है। शिमला में अचानक तापमान बढ़ रहा है। बर्फबारी भी न के बराबर हो रही है। जिसके चलते कृषि और पर्यटन आर्थिकी पर बुरा असर हो रहा है। इन्हीं सभी ज्वलंत मुद्दों को लेकर तीन दिवसीय शिमला क्लाइमेट मीट का आज से एक्शन ऐड, शिमला कलेक्टिव और मानव विकास संगठन संयुक्त रूप से आयोजन कर रही है।
सेमिनार में विषय विशेषज्ञों के अलावा शिमला के स्कूली बच्चे भी हिस्सा ले रहें हैं।21 मार्च तक चलने वाले इस सेमीनार में पर्यावरण में हो रहे बदलाव पर मंथन होगा।शिमला कलेक्टिव संस्था की सदस्य उमा महाजन ने कहा कि इसमें तीन दिनों के दौरान जलवायु परिवर्तन और उसके कारण पैदा हो रही परिस्थियों को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा।इस सम्मेलन का उद्देश्य लोगों को इस विषय में जागरूक करना हैं। विचार विमर्श के बाद ड्राफ्ट रेजोल्यूशन तैयार कर सरकार को दिया जाएगा। जलवायु परिवर्तन के कारण जो आपदा प्रदेश में भी आई है वह मेनमेड है। जो हम किताबो में पढ़ते हैं और जो सिखाया जाता है वह वास्तविक डेवलपमेंट मॉडल से अलग है। इसके खिलाफ जन आंदोलन कर लड़ाई लड़ने की जरूरत है।
सेमीनार के पहले दिन बच्चों ने भी अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि पर्यावरण में बदलाव मानवीय भूल का नतीज़ा है बेतरतीव निर्माण के चलते प्रकृति को नुक्सान हो रहा है जिसका असर मानवता पर भी हो रहा है। इसको लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है।आर्थिकी को भी नुक्सान हो रहा है शिमला में उस तरह बर्फ नही गिर रही और पर्यटक नही आ रहा है।बरसात की आपदा में प्रदेश को बड़ा नुक्सान हुआ है । क्लाइमेट चेंज से कृषि पर भी असर पड़ रहा है। लोगों की गलतियों के कारण बड़ा नुक्सान प्रदेश को हो रहा है।