हिमाचल प्रदेश हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (HIMUDA) का अंदाज अलग है। लोगों के आशियाने का सपना साकार करने के लिए हिमुडा ने करीब आठ साल पहले 72 हजार लोगों से पांच-पांच हजार रुपये लिए। इनमें से 191 लोगों को ही फ्लैट और प्लॉट मिले। जनता से वसूले 36 करोड़ में से ढाई करोड़ रुपये सालाना ब्याज अब हिमुडा खा रहा है।
प्रदेश के अन्य जिलों की तरह हमीरपुर में भी हिमुडा लोगों को जमीन व प्लाट उपलब्ध करवाने जा रहा था। जिसके लिए हिमुडा ने हमीरपुर के लोगों से जमीन लेने के लिए आवेदन किया था लेकिन, अन्य जिलों में हिमुडा को जमीन उपलब्ध हो गई। लेकिन, हमीरपुर में हिमुडा को जमीन नहीं मिल पाई है और लोग जमीन मिलने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी उपभोक्ताओं को फ्लैट/ प्लॉट की सुविधा न दे पाने पर उपभोक्ताओं में विभाग के प्रति रोष है।
गौरतलब है कि हिमुडा ने जिला शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, कांगड़ा में उपभोक्ताओं को फ़्लैट और प्लाट लेने के लिए बुकिंग के तौर पर वर्ष 2010 से पूर्व 5000 रुपये जमा करवाने के लिए कहा था जिसके तहत प्रदेश के सैंकड़ों लोगों ने प्लाट/ फ्लैट लेने के लिए पैसे जमा करवाये थे। बाकी जिलों में तो ग्राहकों को जमीन मिल गई लेकिन हमीरपुर में 8 साल गुजरने के बाद भी विभाग उपभोक्ताओं को कोई भी फ्लैट या प्लाट उपलब्ध नहीं करवा सका है।
हमीरपुर के लोगों का कहना है कि जब विभाग के पास जमीन ही नहीं थी तो उन्हें क्यों उनसे बुकिंग के तौर पर पैसे लिए गए। विभाग ने एक वर्ष के भीतर फ्लैट या प्लाट उपलब्ध करवाने की बात की थी लेकिन, लगभग 8 वर्ष होने के बाद भी उन्हें कुछ प्राप्त नहीं हुआ है। लोगों का यह भी मानना है कि जब बे लोग आठ वर्ष बीतने के बाद अपना पैसा वापिस मांग रहे हैं तो उन्हें विभाग ब्याज देने के बजाए उल्टा उन्हें 4500 रु का ही चेक दे रहा है। जिससे लोगों में रोष है।
इस संबंध में हिमुडा के इंजीनियर उमेश कुमार का कहना है कि हमें बाकी जिलों में जमीन उपलब्ध हो गई है। लेकिन हमीरपुर जिला में अभी जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई है लेकिन जमीन लेने की कोशिश की जा रही है और जो ग्राहक अपना रुपया वापिस मांग रहे हैं उन्हें नियमों के अनुसार ही पैसा वापिस किया जा रहा है। शर्तों के अनुसार अगर ग्राहक अपना पैसा वापिस लेता है तो उसे पांच सौ रुपये कम मिलेंगे।