भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी के इनोवेटर विद्यार्थियों और फैकल्टी ने मिलकर एक स्मार्ट रोड मॉनिटरिंग सिस्टम का विकास किया है। ये सिस्टम तेज/अंधेरे मोड़ पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोक कर दुर्घटना से मृत्यु और जख़्मी होने के मामलों को कम करेगा। इसका साथ ही ये सिस्टम यातायात प्रबंधन का काम भी हल्का करेगा।
इसमें माइक्रो-इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम ( एमईएमएस) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर स्पीड का पता लगाने, वाहनों की संख्या जानने, सड़क के बेहतर नियंत्रण और उपयोग में मदद मिलेगी। इस टीम में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के नमन चौधरी और शिशिर अस्थाना; इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अमुधन मुथैया और सिविल इंजीनियरिंग की निधि कडेला शामिल हैं।
इस सिस्टम में मोड़ के प्रत्येक तरफ पहचान इकाइयों की दो परतें हैं और ड्राइवरों को सतर्क करने के लिए दो सिग्नलिंग इकाइयां हैं। डिटेक्शन यूनिट की लगातार दो परतों से किसी वाहन के गुजरने पर सेंसिंग सिस्टम वाहन की गति, दिशा और यह किस प्रकार (दो/चार/अधिक पहियों) का है इसका पता लगा लेता है। इस तरह दिशा का पता लगने से इसकी पुष्टि होती है कि वाहन मोड़ की ओर बढ़ रहा है और आने वाले वाहन के चालकों को सतर्क करने के लिए दूसरी तरफ संकेत (प्रकाश/ ध्वनि /बैरियर) दिया जाता है। यदि वाहन मोड़ से दूर जा रहा है तो कोई संकेत नहीं दिया जाता है। ये सिग्नल वाहन की गति, दिशा, ढलान की ढाल और वाहन के प्रकार के आधार पर दिए जाते हैं।
इस इनोवेशन के उपयोगों के बारे में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ. के.वी. उदय ने कहा, ‘‘यह तकनीक न केवल तेज मोड़ पर होने वाली दुर्घटनाओं का खतरा कम करेगी बल्कि यातायात प्रबंधन में लोगों की भूमिका कम करने में भी मदद करेगी। इसकी मदद से यातायात प्रबंधन और इस संबंध में निर्णय लेने में भी मदद मिलेगी।’’
यह सिस्टम मोड़ पर चेतावनी देने के साथ-साथ वाहनों की गिनती का काम भी करेगा और इसका एडवांस्ड वर्जन वाहन के भार का पता लगाने में भी सक्षम होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टूल्स लगा कर इस इस डेटा के उपयोग से यातायात प्रबंधन, सड़क के उपयोग, सिंगल लाइन सुरंगों से यातायात और प्रतिबंधित क्षेत्रों में यातायात नियंत्रण किया जा सकता है। पर्याप्त डेटा एकत्र होने के बाद ट्रैफिक जाम, यातायात में वृद्धि और डायवर्जन की चेतावनी भी दी जा सकती है।
प्रोटोटाइप विकास के चरण में सिस्टम की लागत 20,000 रुपयों से कम आई है। इसमें प्रति मोड़ चेतावनी देने की इकाइयां नहीं शामिल हैं। हालांकि वर्तमान में इनोवेटर्स इसके व्यापारिक पहलुओं पर काम कर रहे हैं और सिस्टम के संचालन और रखरखाव की लागत कम कर और वैकल्पिक सौर ऊर्जा का उपयोग कर सिस्टम को आत्मनिर्भर बना कर प्रोडक्ट की पूरी लागत कम करने की कोशिश में हैं।
याद रहे कि यातायात बढ़ने से सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण और उन्हें रोकना लोगों के लिए चुनौती बन जाती है और खास कर पहाड़ी इलाकों में यातायात प्रबंधन अधिक कठिन हो जाता है। हालांकि इन परिस्थितियों में यातायात पुलिस की मदद, कन्वेक्स मिरर लगाना और अन्य तकनीकों सहायक हैं, पर बारिश, बर्फ, कोहरे के कठिन मौसम और तेज मोड़ों की अधिक संख्या हो तो यातायात प्रबंधन मुश्किल हो जाता है।