हिमाचल प्रदेश में प्रचंड शीतलहर पड़ रही है। कई क्षेत्रों में बर्फ़बारी से सामान्य जन जीवन अस्त व्यस्त है। इस ठंड में हिमाचल की सड़कों पर बेसहारा पशु ठिठुर रहे हैं। बर्फ़बारी की बीच ये पशु ज़िंदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। वर्षों से न्यायालय के आदेशों के बाबजूद इन बेसहारा पशुओं को आशियाना नहीं मिल पा रहा है। सरकार पशुशालाओं के बनाने का दावा तो कर रही है। लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही है सड़कों पर आज भी सैंकड़ों पशुधन घूमता हुआ मिल जाएगा।
ये पशुधन प्रदेश के हर जिले में नज़र आता है। कभी ये खुद दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है तो कई बार दुर्घटना का कारण बन जाते हैं। कभी दुर्घटनाओं में ये पशु अपनी जान दे देते हैं, कभी किसी बेगुनाह की जान लील लेने का कारण बन जाते हैं। पशुशालाओं के नाम पर न जाने आज तक कितना पैसा खर्च किया जा चुका है। बाबजूद उसके बेसहारा पशु सड़कों पर कम नहीं हुए। सरकारी योजनाएं अंजाम तक नही पहुंच पाती इसलिए बेसहारा पशु सड़कों पर मरने को मजबूर हैं। ये तस्वीर भी सरकारी दावों की पोल खोलती नज़र आती है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ हिमाचल में बेसहारा गायों की संख्या 30,000 से 32,000 के बीच आंकी गई है। राज्य सरकार ने दो साल पूर्व गाय के संरक्षण व संवर्धन के लिए शराब पर सेस भी लगाया। पशुपालन विभाग की माने तो गौ सेसे के माध्यम से 8 करोड़ रुपये जुटाए भी गए हैं। हिमाचल प्रदेश में कुल 182 गौ सदन और गौशालाएं हैं, जिनमें 108 पंजीकृत हैं। इन गौशालाएं में कुल पशु 13,000 से 14,000 हैं। लेकिन इस गौ सदन की स्थिति बहुत ही दयनीय है।