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जनहित कार्यों में खर्च हो मंदिरों की आय, सरकार करे विचार: शांता

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हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने देश के मंदिरों की संपत्ति को जनहित के कार्यों में खर्च करने की मांग उठाई है। शांता ने कहा कि देश में करीब 100 ऐसे बड़े मंदिर हैं जो एम्स की तरह 100 अस्पताल चलाने में सक्ष्म हैं। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

भाजपा वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत में कुल 5 लाख मंदिर हैं। मंदिरों की आय भारत सरकार की आय से भी कई गुणा अधिक है। भारत के सभी मंदिरों की कुल अर्थ व्यवस्था 3 लाख करोड़ रुपये की है। नकद धन के साथ सोने का दान भी बहुत अधिक होता है। 2021 में तिरूपति मंदिर में 3 हजार करोड़ रुपये नकद और 6 हजार करोड़ का सोना दान में आया था। दक्षिण के कुछ मंदिरों में सदियों से पड़ा हुआ सोना बंद तालों में रखा है, किन्हीं कारणों से खोला तक नहीं गया।

शांता कुमार ने कहा कुछ मंदिर अपनी आय का जनता के लिए बढ़िया उपयोग करते हैं। एक मंदिर विश्वविद्यालय चला रहा है, कुछ और भी जन कल्याण के काम कर रहे हैं। लेकिन सभी मंदिर ऐसा नहीं कर रहे। मंदिरों में धन और सम्पत्ति भी देश की है। यदि कुछ मंदिर जन कल्याण का काम कर सकते हैं तो बाकी मंदिरों को भी ऐसा करने के लिए सरकार को प्रेरित करना चाहिए और आवश्यकता हो तो कानून भी बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा भारत में कम से कम 100 ऐसे बड़े मंदिर हैं जो भारत सरकार के एम्स की तरह के बड़े अस्पताल चला सकते हैं। बाकी सभी मंदिर जन कल्याण के छोटे काम कर सकते हैं। सरकार इस पर विचार करे। देश के 100 बड़े मंदिरों को एम्स की तरह के 100 अस्पताल जिनमें गरीबों का ईलाज मुफ्त हो चलाने के लिए बाध्य किया जाए। बाकी देश के प्रत्येक मंदिर की आय के अनुसार छोटी या बड़ी गौशाला चलायें। इस निर्णय से पूरे देश को स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी और पूरे देश में सड़क पर कोई गाय आवारा नजर नहीं आयेगी। गाय को माता मानने वालों को शर्मिदा नहीं होना पड़ेगा।

इन दो अति महत्वपूर्ण कामों को पूरा करने के लिए सरकार को कुछ खर्च नहीं करना पड़ेगा। जब मंदिर समाज सेवा का ऐसा काम करने लगेंगे तो मंदिरों में दान की आय भी बढ़ जायेगी।