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शिमला रोपवे: 660 ट्रॉलियों से होगा सफर, 20 करोड़ रुपये की पर्यावरण मंजूरी जारी

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Shimla Ropeway Project: हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिमला में  भारत का सबसे लंबे प्रस्‍तावित रोपवे के निर्माण कार्य में गति लाने के प्रयास हैं।  परियोजना की पर्यावरण मंजूरी के लिए 20 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं, और इसका कुल खर्च 1,734 करोड़ रुपये आएगा।   इस रोपवे की लंबाई 13.79 किलोमीटर होगी, जो शिमला शहर के प्रमुख हिस्सों को कवर करेगा।

रोपवे में 660 ट्रॉलियां लगाई जाएंगी, जिनकी क्षमता 8-10 सवारियों की होगी, और यह प्रति घंटे 6,000 यात्रियों को सफर कराएगा। तारादेवी से शुरू होने वाले इस रोपवे में 13 स्टेशन होंगे, जिनमें जूडिशियल कॉम्प्लेक्स चक्कर, टूटीकंडी पार्किंग, न्यू ISBT टूटीकंडी, रेलवे स्टेशन, ओल्ड ISBT शिमला, लिफ्ट, सचिवालय छोटा शिमला, नव-बहार, संजौली, IGMC, आइस स्केटिंग रिंक, और 103 होटल चेतन पर स्टेशन बनाए जाएंगे।

अग्निहोत्री ने बताया कि रोपवे की ट्रॉलियां 2-3 मिनट के अंतराल पर उपलब्ध होंगी, जिससे यात्री आसानी से सफर कर सकेंगे। यह परियोजना न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की सहायता से पूरी की जाएगी, जिसमें 20% इक्विटी हिमाचल सरकार की होगी, और शेष राशि लोन और ग्रांट से प्राप्त की जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि इस रोपवे का किराया बस के किराए के आसपास होगा, और इस परियोजना को 5 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण को ढाई साल में पूरा करने की योजना है। यदि यह सफल रहा, तो अगला रोपवे परवाणू से शिमला तक बनाया जाएगा, जिसकी लंबाई 39 किलोमीटर होगी, और यह दुनिया का सबसे लंबा रोपवे होगा। इसकी लागत 6,600 करोड़ रुपये होगी और इसे PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत विकसित किया जाएगा।