<p>कहते हैं कि यदि व्यक्ति के पास हुनर हो तो उसे निखारने के लिए जरूरी नहीं की उच्च प्लैटफॉर्म मिले। व्यक्ति सच्ची लगन से काम करे तो वे किसी भी जगह और सिच्वेशन में उपलब्धि हासिल कर सकता है। जी हां, ऐसा ही एक वाक्या शिमला की कंडा जेल में बंद क़ैदी ने कर दिखाया है।</p>
<p>यहां रेप के मामले में जेल में बंद एक बेगुनाह कैदी ने UPSC की मैगजीन 'कंपीटिशन कंपेनियन' को खुद बनाया, जिसे डीजी जेल ने मंगलवार को लॉन्च कर दिया है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने उन्हें बेगुनाह करार देते हुए रिहा कर दिया है। क़ैदी विक्रम ख़िमटा मैग्जीन निकालने के साथ ही जेल में IAS की तैयारी भी कर रह थे, जिसमें पुलिस ने भी उनका पूरा साथ दिया।</p>
<p>उधर, डीजीपी जेल सोमेश गोयल का कहना है कि विक्रम जो जेल के प्रति स्नेह दिखा रहे है उससे बड़ा कॉम्प्लिमेंट कोई नहीं हो सकता। उनका प्रयास यही रहता है कि जेलों में अच्छा माहौल तैयार किया जाए ताकि कैदियों को उनके मुताबिक कुछ करने की प्रेरणा मिल सके।</p>
<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>छोटे से गांव से संबंध रखते हैं ख़िमटा</strong></span></p>
<p>शिमला जिले के मंडोल गांव में रहने वाले पोस्ट ग्रेजुएट विक्रम खिमटा को रेप के आरोप में दोषी पाते हुए 7 साल की सजा सुनाई गई थी। विक्रम खिमता को सितंबर 2016 में ट्रायल कोर्ट ने IPC की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया था। वहीं, विक्रम का कहना है कि भले ही वह जेल में रहे लेकिन, उन्होंने अपना भविष्य काल कोठरी में बर्बाद नहीं किया और न ही विक्रम को जेल में काटे दो सालों का कोई पछतावा है। विक्रम कहते हैं कि जेल ने उनको बहुत कुछ दिया और जेल में ही किताब को लिख पाए। वह इसके लिए जेल विभाग का भी धन्यवाद करते हैं।</p>
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