कांगड़ा के फतेहपुर की रहने वाली कृणिका ग़ौतल यूक्रेन से वापस लौट आई है। ग्राम पंचायत रैहन की कृणिका गौतम ने बताया कि उसके सामने दस मीटर की दूरी पर जब एक धमाका हुआ जो शेल था। पहले लगा कि ग्रेनेड फटा है। ऐसे में वो अपने सहयोगियों संग जमीन पर लेट गए और डर के मारे रोने लग पड़े। उसने बताया कि एक बम उसकी आंखो के सामने बिल्डिंग पर भी पड़ा। तब भी वो बेहद डर गई थी।
खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी में मात्र तीन महीने पहले एमबीबीएस में दाखिला लेने वाली कृणिका गौतम ने बताया कि वो 8 दिन बंकर में रही। नौवें दिन जब वो हास्टल से आठ किलोमीटर दूर बुग्जार रेलवे स्टेशन पहुंची। तो यूक्रेन छोड़कर भागने वाले स्थानीय लोगों की आपसी लड़ाई में उनकी ट्रेन निकल गई। तब 2 मार्च को वो 15 किलोमीटर दूर पैदल ही ग्रीन जोन फिसोफिन पहुंचे। चार मार्च तीन बजे सुबह ट्रोनोफिल में पहुंचे। इस बीच एजेंसी ने रोमानिया की राह पकड़ी।
यहां से छह मार्च रात साढ़े ग्यारह बजे एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी। कृणिका के अनुसार बंकर में आठ दिन रहने के दौरान 4 दिन तो खाना नियमित मिला। लेकिन खाने की कमी के चलते ड्राई फ्रूट के सहारे दिन गुजारने पर उन्हें मजबूर होना पड़ा।