मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।
हिमाचल के प्रमुख बैंकों में शुमार केसीसी बैंक में मौजूदा समय में एनपीए 1209 करोड़ रुपए पहुंच गया है। एनपीए यानी नोन परफार्मिंग आसेट वह ऋण होता है, जिससे आउटपुट जेनरेट नहीं होती है। एनपीए में गए लोन को रिकवर करना भविष्य में बैंक प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी।
एक्सपर्ट का मानना है कि एनपीए बढ़ने से बैंक को तीन सीधे नुकसान होते हैं। पहला यह कि किसी लोन के एनपीए में चले जाने से बैंक को आमदनी कम होती है। दूसरा यह कि एनपीए में गए लोन की रिकवरी के चांस कम रहते हैं। तीसरा नुकसान यह एनपीए में लग रहे ब्याज को आमदनी में नहीं गिन सकते हैं। इसके अलावा बैंक का बेशक कीमती पैसा तो फंसा ही होता है। कांगड़ा को-आपरेटिव बैंक से करीब अठारह लाख ग्राहक जुड़े हुए हैं। इसके अलावा पंद्रह सौ कर्मचारी इस बैंक में सेवाएं दे रहे हैं।
एनपीए में कब जाता है लोन
बता दें कि किसी ने अगर ऋण लिया है और उसकी एक किस्त मिस हो जाती है, तो यह किस्त ओवरड्यू में शो करेगी। इसके अलावा ऋणधारक अगर दूसरी और तीसरी किस्त भी मिस करता है, तो 91 दिन के बाद इस ऋण को एनपीए में डाल दिया जाता है। इस बीच नोटिस आदि के बाद रिकवरी के लिए कुर्की समेत आगामी प्रक्रिया अपनाई जाती है।
रिकवरी के लिए बनाई टीम
इस बारे में केसीसी बैंक के चेयरमैन राजीव भारद्वाज ने बताया कि एनपीए लोन की रिकवरी के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है। इस टीम को वह और प्रबंधक निदेशक इसे मानीटर कर रहे हैं। चेयरमैन ने कहा कि कोविड काल में आर्थिकी ठप पड़ गई थी। यह एनपीए बढऩे का एक कारण हो सकता है। रिकवरी तेजी से की जाएगी।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में केसीसी बैंक के एजीएम केसी भारद्वाज ने प्रबंधन पर आरोप लगाए थे कि एक व्यक्ति को एनपीए होने पर भी दो बार ऋण दे दिया गया। इसी बीच एजीएम केसी भारद्वाज का पहले आनी के लिए तबादला किया गया और कुछ दिन बाद उन्हें अब सस्पेंड कर दिया गया है। केसी भारद्वाज ने प्रबंधन के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है। उन्हें सच उजागर करने पर निशाना बनाया जा रहा है। वह सच्चाई की लड़ाई हर स्तर पर लड़ेंगे। उन्हें देश की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। वह ऐसे फैसलों को न्यायालय में चुनौती देंगे। इसके लिए प्रोसेस शुरू कर दी है।