भारत में राजाओं का राज भले ही खत्म हो चुका है, लेकिन राजाओं की बनाई एतिहासिक धरोहरें आज भी लोगों को अपनी ओर आकृषित करती हैं. ऐसे कई महल हैं, जो किसी न किसी वजह से मशहूर हैं. ऐसा ही एक महल हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में है, इस महल को सुजानपुर के किले के नाम से जाना जाता है. यहां छुपे खजाने की वजह से ही इसे हमीरपुर का ‘खजांची किला’ भी कहा जाता है, जो काफी रहस्यमय है.
कहा जाता है कि इस किले में किसी अज्ञात जगह पर अरबों का खजाना छुपा हुआ है, जिसे आज तक कोई खोज नहीं पाया. इस महल को कटोच वंश के राजा अभय चंद ने 1758 में बनवाया था. अभय चंद के बाद राजा संसार चंद ने यहाँ से राज किया. कहते हैं कि इस महल में आज भी राजा संसार चंद का खजाना मौजूद है, लेकिन इस खजाने के रहस्य से आज तक कोई पर्दा उठा पाया है और न ही कोई खजाने तक पहुंच पाया है.
ऐसा माना जाता है कि महल के अंदर ही एक पांच किलोमीटर लंबी सुरंग है, लेकिन इस सुरंग के अंतिम छोर तक आज तक कोई भी नहीं पहुंच पाया. रास्ता तंग और अंधेरा होने के कारण इस सुरंग में 100 मीटर से ज्यादा अंदर जाने की कोई सोचता भी नहीं. किले के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि रात के वक़्त किले से अजीबो- गरीब आवाजें आती हैं. उनका मानना है कि खजाने की रक्षा किले में मौजूद रूहानी ताकतें करती हैं.
माना जाता है कि राजा संसार चंद इस महल का प्रयोग लूटे हुए खजाने को छुपाने के लिए करते थे. खजाने को छुपाने के लिए किले में एक गुप्त सुरंग का निर्माण करवाया था, जिसका रास्ता सीधे खजाने तक जाकर खुलता था. इस जगह पर छिपे खजाने को ढूंढने के लिए मुगलों समेत कई राजाओं सहित ग्रामीण किले में कई बार खुदाई कर चुके हैं. लेकिन आज तक कोई सफल नही हो पाया. खजाने का रहस्य राजा संसार चंद के मरने के साथ ही दफन हो गया.
सुजानपुरा टीहरा में पांच मंदिर और एक बड़ा हॉल है, जहां संसार चंद की अदालत लगती थी. किले का मुख्य आकर्षण गौरी शंकर मंदिर है जो महल के परिसर के भीतर है. यह मंदिर भगवान शंकर और देवी पार्वती को समर्पित है. 1905 में कांगड़ा में आए भूकंप ने किले को बहुत क्षति पहुंचाई थी. सुजानपुर टीहरा का महल और नर्वदेश्वर मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. हालांकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता चंद्रेश कुमारी महल की मालकिन है.