<p>देश-दुनिया में लोग जहां जश्न मनाकर नए साल का स्वागत करते हैं। वहीं, इस बार पहली बार देवभूमि हिमाचल के कुल्लू में नए साल पर ब्यास नदी के किनारे महा आरती होगी। कुल्लू के मौहल में ब्यास किनारे नेचर पार्क में यह अनूठा आयोजन होगा। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों के बीच होने वाली इस महाआरती में 10,000 लोग शामिल होंगे। बनारस में गंगा की तर्ज पर ब्यास के तट पर महा आरती विश्व शांति के लिए करवाई जाएगी।</p>
<p>इस महा आरती में देव समाज से जुड़े संगठनों के साथ -साथ देवलुओं को शामिल करने की भी योजना है। इसके लिए जिला प्रशासन देव समाज से जुड़े लोगों के साथ बैठक करेगा। इसमें ब्यास महा आरती के समय, पूजा विधि और अन्य बिंदुओं पर चर्चा कर उसे आखिरी रूप दिया जाएगा। इस भव्य आयोजन की तैयारियों को लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। इसके लिए पार्वती-ब्यास संगम भुंतर को न चुनकर मौहल को चुना गया है।</p>
<p>गौरतलब है कि बीते सितंबर महीने में कुल्लू में प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया था। ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर ने मनाली से औट तक अपनी जद में आने वाली हर चीज को नष्ट कर दिया था। आपदा में करोड़ों का नुकसान हुआ था। इस पर प्रशासन ने नए साल पर ब्यास के तट पर महा आरती करने का निर्णय लिया है, जिससे वर्ष 2019 में कुल्लू घाटी में शांति बनी रहे।</p>
<p>उपायुक्त यूनुस ने कहा कि कुल्लू में पहली बार ब्यास महाआरती होगी। करीब दस हजार लोग ब्यास महाआरती करेंगे। वाद्ययंत्रों की थाप पर प्राकृतिक आपदा से हुई तबाही और विश्व शांति के लिए ब्यास महाआरती की जाएगी। आयोजन को लेकर जल्द विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों तथा देव समाज के साथ बैठक की जाएगी।</p>
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