<p>हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूल कांगजों में तो अपग्रेड हो जा रहे हैं। लेकिन, जमीन पर हकीकत कुछ और ही रहती है। कुल्लू स्थित राजकीय माध्यमिक पाठशाला शिक्षा तंत्र की बदहाली को बयान करने के लिए काफी है। यहां पर एक हॉल में तीन कक्षाएं लगती हैं। वर्तमान में छठी से लेकर आठवीं तक 80 स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं। लेकिन, इन्हें पढ़ाने के लिए अलग-अलग क्लासरूम की व्यवस्था नहीं है।</p>
<p>वर्ष 2007 में इस स्कूल को प्राईमरी से मिडिल का दर्जा दे दिया गया। लेकिन, विद्यार्थियों के बैठने के लिए अभी तक व्यवस्था नहीं की गई। यहां पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थी कमजोर तबके से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में इस तंत्र की तरफ विरले ही कोई ध्यान देता है। हालांकि, छात्रों के अभिभावकों ने आखिरकार परेशान होकर अभिभावक किसानसभा के बैनर तले डीसी कुल्लू से मुलाकात की। तीन कक्षाओं को बैठने के लिए कमरों को बनवाने की मांग को लेकर डीसी कुल्लू ने उन्हें आश्वासन दिया।</p>
<p>अभिभावको का कहना हैं कि अगर कमरों का प्रबन्ध नही होता तो हम सारे बच्चों के मां-बाप बच्चों समेत धरने पर बैठेगें। क्योंकि 11 बर्ष के बाद भी सरकार और शिक्षा विभाग ने कभी भी इस ओर ध्यान नही दिया।</p>
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