<p>नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल में रोहतांग दर्रा पर प्रदूषण को कम करने के मामले पर सरकार से चार हफ्तों के अंदर रिपोर्ट मांगी है। पीठ ने कहा कि यदि इस बार समय पर सही रिपोर्ट नहीं दाखिल की गई तो ट्रिब्यूनल उच्चस्तरीय जांच का आदेश देगा। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को इस मामले पर पहली बार सुनवाई की।</p>
<p>पीठ ने कहा कि पूर्व में दिए गए ट्रिब्यूनल के सभी आदेशों की निगरानी राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव को करनी चाहिए। पीठ ने 2014 से लेकर पूर्व के दिए गए सभी अहम आदेशों को रिकॉर्ड में लेते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि इस मामले को करीब चार साल बीत चुके हैं। सरकार बताए कि आखिर अब तक क्या ठोस काम किया गया है।</p>
<p>पर्यावरण संवेदी क्षेत्र में ट्रैफिक को नियंत्रित करने और वाहनों का दबाव कम करने के लिए पलचान से रोहतांग दर्रा तक रोप-वे का निर्माण हो या सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों का परिचालन और ठोस कचरे का संग्रहण और व्यावसायिक गतिविधियों को रोकने का आदेश सभी मुद्दों पर एनजीटी ने सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।</p>
<p>सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने ही सभी आदेशों की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार हफ्तों की मांग की थी। 2014 से चल रहे रोहतांग मामले में 18 दिसंबर 2016 को एनजीटी ने विस्तृत फैसला सुनाया था। इनका अनुपालन अभी तक नहीं हो पाया है। सरकार की ओर से इस मामले में न तो अनुपालन की स्पष्ट रिपोर्ट दाखिल हुई है।</p>
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