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मंडी की महिमा का एअरोस्पेस इंजीनियर में चयन, अमेरिका में करेंगी शोध

मंडी जिले के करसोग क्षेत्र की प्रतिभावान छात्रा महिमा गुप्ता का चयन अमेरिका में एअरोस्पेस इंजीनियर में एमएस के लिए हुआ है। महिमा ने एअरोस्पेस में अपने शोध के आधारित अमेरीका के विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों द्वारा दी जा रही छात्रवृति का प्रोत्साहन पाकर राज्य ही नहीं देश को अपनी मेधा से गौरवांवित किया है।

डेस्क |

मंडी: मंडी जिले के करसोग क्षेत्र की प्रतिभावान छात्रा महिमा गुप्ता का चयन अमेरिका में एअरोस्पेस इंजीनियर में एमएस के लिए हुआ है। महिमा ने एअरोस्पेस में अपने शोध के आधारित अमेरीका के विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों द्वारा दी जा रही छात्रवृति का प्रोत्साहन पाकर राज्य ही नहीं देश को अपनी मेधा से गौरवांवित किया है।

महिमा गुप्ता ने एअरो स्पेस में बीटैक किया है। इस दौरान अपने विशेष कार्य व अनुसंधान के कारण अमेरीका के उन विश्वविद्यालयों ने महिमा को अगामी शिक्षा व शोध के लिऐ आग्रह किया है। जहां से चांद पर उतरने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग, भारत की बेटियां कल्पना चावला व सुनिता विलियम ने शिक्षा प्राप्त कर विश्व के अंतरिक्ष खोज अभियान में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। महिमा गुप्ता को अपने शोध पर अगामी शोध व शिक्षा के लिए छात्रवृति सहित शिक्षण कार्य के लिए आमंत्रण मिला है।

महिमा को टायटन विश्वविद्यालय, परड्यू विद्यालय जहां नील आर्मस्ट्रांग ने शिक्षा ग्रहण की,कोलोरेडो बोल्डर विश्वविद्यालय जहां कल्पना चावला दीक्षित हुई और फलोरिडा इन्टिट्यूट आफ टैक्नोलोजी जहा से अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम शैक्षणिक पोषण हुआ, छात्रवृति,शिक्षा व शिक्षण के ऑफर प्राप्त हुए हैं। इन विख्यात शिक्षण संस्थानों के अतिरिक्त महिमा को ऐरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय, राईट स्टेट विश्वविद्यालय जहां पहली उड़ान भरने वाले राईट बंधुओं ने शिक्षा ग्रहण की, कैलिफोर्निया स्टेट विश्व विद्यालय, मिशीगन विश्वविद्यालय व सिनसिनाटी विश्वविद्यालयों से आफर मिला है।

यह महिमा के शोध की गहनता है कि विदेशों के विख्यात शिक्षा संस्थानों से प्रोत्साहन राशि व शिक्षा-शोध के लिये आमंत्रण मिले है। महिमा की प्रतिभा से यह सिद्ध होता है कि करसोग जैसे छोटे कस्बे से निकली प्रतिभा विश्व में अपना लोहा मनवाने के लिये तैयार है। ग्रामीण क्षेत्रों में रचनात्मक गतिविधियों के लिए खंड, जिला और राज्य स्तर पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित डाक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि जहां करसोग से नित नई उपलब्धियां लेकर बेटियां आगे बढ़ रहीं हैं, वहीं करसोग में लड़कियों के लिए अलग छात्रा विद्यालय ही नहीं है। जबकि रियासती काल में राजा लक्ष्मण सेन ने सुकेत की राजधानी पांगणा में सन् 1941 में लड़कियों के लिए अलग विद्यालय खोला था।

सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष डाक्टर हिमेंद्र बाली ,डाक्टर जगदीश शर्मा, सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती की जिला सलाहकार लीना शर्मा का कहना है कि महिमा गुप्ता की इस विशेष उपलब्धि ने न केवल करसोग का नाम उज्जवल किया है अपितु पूरे राज्य व राष्ट्र के लिए यह बहुत गर्व की बात है। महिमा का कहना है कि इस सफलता में उनकी पारिवारिक और स्कूली पृष्ठभूमि का भी योगदान है। डाक्टर जगदीश शर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि करसोग में लड़कियों के लिए अलग विद्यालय खोला जाए ताकि महिमा के पद चिन्हों पर चलकर गांव-गांव की लड़कियां अपनी मेहनत से राष्ट्रीय व विश्व स्तर पर अलग पहचान बनाकर करसोग का नाम रोशन कर सकें।