हिमाचल प्रदेश में प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने और राज्य में प्लास्टिक सामग्री के सभी ब्रांड मालिकों और उत्पादकों का पंजीकरण शुरू करने के लिए सभी जिलों में प्लास्टिक अपशिष्ट संसाधकों (प्रोसेसरों) को पंजीकृत करने की आवश्यकता है।
यह बात पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक, डी.सी. राणा ने अपशिष्ट पेय पदार्थों से निपटने वाले एक्शन एलायंस फॉर रीसाइक्लिंग बेवरेज कार्टन (एएआरसी), पेट पैकेजिंग एसोसिएशन फॉर क्लीन एनवायरनमेंट (पीएसीई) और अपशिष्ट के कुशल संग्रह और पुनर्चक्रण प्रयासों (डब्ल्यूईकेयर) के प्रतिनिधियों के साथ आज यहां आयोजित एक बैठक में कही।
डी.सी. राणा ने बताया कि अब तक राज्य में 30 ब्रांड मालिकों और उत्पादकों को पंजीकृत किया गया है और बहुत से अन्य उत्पादकों का पंजीकरण होना अभी भी शेष है।
बैठक में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) तंत्र पर चर्चा की गई और हिमाचल में सक्रिय प्लास्टिक अपशिष्ट संसाधकों को सभी जिलों में पंजीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विकसित केंद्रीकृत पोर्टल के तहत पंजीकरण करने के लिए निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक के बीच जागरूकता लाने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
प्रदेश में निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक अपशिष्ट क्रेडिट की जानकारी को सत्यापित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों को अधिकृत किया गया है।
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