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मनाली के युवाओं ने रचा इतिहास, भारत पहली बार FXC वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई

➤ मनाली के युवाओं ने भारत को दिलाई FXC वर्ल्ड कप में ऐतिहासिक एंट्री
➤ सरकारी स्कूल मैदान से शुरू हुई अंतरराष्ट्रीय सफर की कहानी
➤ दिसंबर में इटली में तिरंगा थामे खेलेंगे हिमालय के बेटे-बेटियां


भारत के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। पहली बार भारत ने फायरबॉल एक्सट्रीम चैलेंज™ (FXC) वर्ल्ड कप 2025 के लिए क्वालिफाई कर लिया है। यह उपलब्धि किसी महानगर की स्पोर्ट्स अकादमी ने नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के मनाली के छोटे-छोटे पहाड़ी गांवों के युवाओं ने हासिल की है।

यह कहानी सिर्फ खेल की नहीं बल्कि संघर्ष, समानता और उम्मीद की मिसाल है। हर शाम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ये बच्चे मनाली के एक साधारण सरकारी स्कूल के मैदान में इकट्ठा होकर खेल का अभ्यास करते थे। इनके पास न कोई बड़ा कोच था, न स्पॉन्सर — बस पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी विजय ठाकुर का मार्गदर्शन, कुछ पुरानी गेंदें, और अदम्य जज्बा था।

कई सालों की मेहनत के बाद ये युवा खिलाड़ी अब इटली के लिग्नानो सब्बियादोरो स्थित EFA बेला इटालिया रिज़ॉर्ट में 1 से 9 दिसंबर 2025 तक होने वाले FXC वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। टीम में 15 खिलाड़ी और कोच शामिल हैं, जिनमें अधिकतर खिलाड़ी साधारण परिवारों से आते हैं — कोई बागानों में काम करता है, कोई ढाबे में बर्तन मांजता है, तो कोई खेतों में परिवार की मदद करता है। इनमें से कई पहली बार विदेश यात्रा करेंगे और पहली बार विमान में सफर करेंगे।

क्यों ऐतिहासिक है यह उपलब्धि:
यह भारत की पहली FXC टीम है जिसने विश्व कप के लिए क्वालिफाई किया। FXC दुनिया का पहला Co-Ed (सह-शिक्षा आधारित) खेल है, जिसमें लड़के और लड़कियां एक साथ खेलते हैं। इसे World Bank Group’s Connect4Climate और Women7 of G7 Summit जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने जेंडर इक्वलिटी और समावेशन का प्रतीक माना है।

जुलाई 2025 में इटली और मेक्सिको से आए अंतरराष्ट्रीय कोचों ने मनाली में एक इंटरनेशनल बूटकैंप आयोजित किया था, जिसमें इन युवाओं को विश्वस्तरीय ट्रेनिंग दी गई। इस बूटकैंप ने इन खिलाड़ियों को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर तैयार किया और अब यह टीम भारत का नाम रोशन करने को तैयार है।

स्थानीय प्रशासन — उपायुक्त तोरुल रवीश, खेल अधिकारी कबिता और भारतीय दूतावास (रोम) — ने टीम को शुभकामनाएं दी हैं। कुल्लू-मनाली घाटी में जश्न का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि “अब हर परिवार का बच्चा तिरंगा लेकर इटली जा रहा है।”

यह सफर साबित करता है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। मनाली के इन पहाड़ी बच्चों ने दुनिया को दिखा दिया है कि प्रतिभा किसी पृष्ठभूमि की मोहताज नहीं होती — मेहनत और विश्वास ही असली पहचान है।