<p>मंडी जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बारिश और ओलावृष्टि से फलों की फसलों को भारी नुक्सान हुआ है। पागणा और आस-पास की कनेरी, कलाशन, मशोग, सोरता, बही-सरही,पंचायतों में आज दोपहर बाद ओलावृष्टि से भारी नुक्सान हुआ है। पागणा घाटी सेब के अर्ली सीजन के लिए जानी जाती है। यहां का सेब सबसे पहले प्रदेश और देश की सेब मंडियों में पहुंचता है तथा अच्छे दामों मे बिकता है। आज दोपहर बाद हूई ओलाबारी के कारण सेब के साथ-साथ बादाम खुमानी ,आडू, चैरी, नाशपाती इत्यादि की फसलों को भारी नुक्सान हुआ है। इस ओलाबारी के कारण बागवानों के चेहरे मुरझा गए हैं। </p>
<p>बागबानों का कहना है कि पिछले वर्ष जहां लॉक डॉन के कारण लोग अपने घरों से दूर पार स्थित बगीचों में न पहुंचे पाने के कारण सैटिग की स्प्रे और दूसरो पोषक तत्वों,कीटनाशक,फंफूदनाशक,माइक्रो न्यूट्रीएन्टस जैसी अत्याश्यक स्प्रे कार्य न करने के कारण सेब की फसल लेने से वंचित रहें वहीं इस बार लंबे समय तक चले सूखे के बाद सेब की दरमियाना फसल होने की उम्मीद पर ओलावृष्टि ने पानी फेर दिया है। </p>
<p>कनेरी, कलाशन, मशोग, पांगणा सोरता पंचायतों के प्रगतिशील बागबानों का कहना है कि मौसम में आया यह बदलाव सेब बागवानी के भविष्य को लेकर सकारात्मक संदेश नहीं है। स्थानीय निवासी सेब फसल पर ही निर्भर रहते हैं। आर्थिकी टीक न होने के कारण बागबानी के बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए बागबानों ने विभिन्न बैंकों से केसीसी भी बनायी होती है।आज की ओलावृष्टि से प्रभावित बागबानो को केसीसी के रूप मे लिया कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएग वहीं सेब तुड़ान,ढुलान ग्रेडिंग, पेकिंग करने वाले मजदूरों को भी भारी आर्थिक नुक्सान झेलने पड़ेगा। </p>
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