लगातार दूसरे दिन भी भारी मूसलाधार बारिश के चलते सुकेती खड्ड में आई बाढ़ से जिले की बल्ह घाटी में हालात और बदतर हो गए। पूरी घाटी समुद्र बन गई है और इसके गांव टापू जैसे हो गए हैं।
किसान सभा के उपाध्यक्ष, जोगिन्दर वालिया ने बल्ह में आयी बाढ़ के चलते हुए पिछले 48 घंटो से भारी बारिश के कारण व एवं जल की निकासी न होने के कारण दर्जनों गाँव एवं व्यापारिक संस्थानों को अपनी चपेट में ले लिया जिसके कारण मकानों एवं दुकानों में जल भराव के कारण आम लोगों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन व विधायक गहरी नींद में सोए रहे। किसान सभा के अनुसार सबसे ज्यादा नुकसान भंगरोटू-नेरचौक से डडौर कन्सा चौक, ढावन, सियांह, सिंहन, चन्डयाल, बैहना , गुटकर एवं नागचला के गांवों के जन-मानस को उठाना पड़ा जिसमे मुख्य रूप से जल निकासी के लिए उचित नालियाँ न होना व पुलियों को बंद होना रहा है। वालिया ने कहा कि झयाटल पुली ब नागचला से जल निकासी नहीं हो सकी और जिसके कारण पूरी सड़क पर 3-4 फीट तक पानी ही पानी भर गया।दुकानों में पानी घुसने से करोड़ों का नुकसान हो गया। हो गया और लोगो के दुकानों में घुसकर लाखों का नुकसान कर गया। यदि समय रहते स्थानीय निकाय व बल्ह प्रशासन कदम उठाता तो इतनी तबाही नहीं होती। किसान सभा ने मांग की है कि बंद नालियों को खोला जाए व जल निकासी का सही प्रबंध किया जाए।
वालिया का कहना है कि हिमाचल किसान सभा एवं बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति पिछली जयराम सरकार एवं वर्तमान सुक्खू सरकार को सचेत करता रहा हे कि बल्ह का प्रस्तावित एअरपोर्ट क्षेत्र लगातार बाढ़ की मार झेलता रहा है इसलिए इसे दूसरी जगह पर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सरकार द्वारा बाढ़ एरिया भी घोषित किया जा चुका है और पहले 1962 की बाढ़ इतनी भयंकर थी
गांव के गांव व सैंकड़ों लोग व मवेशी बह गए थे यहाँ तक की डड़ौर से नेरचौक सड़क के स्तर को कम करना पड़ा थाऔर उस समय लोगों को दूसरी जगह बसाया गया । उसके बाद भी कई बार बाढ़ आने से लोगों के घर, गौशाला और अन्य सम्पति पानी में डूबते रहे हें और भारी नुकसान उठाना पड़ता रहता है। ऐसे में बल्ह में हवाई अड्डा बनाने की योजना को खारिज कर देना चाहिए।