<p>मंडी समेत प्रदेश के कुछ और शहरों की नगर परिषदों को नगर निगमों का दर्जा देने की कवायद को ठंडे बस्ते में डाल देने से मंडी में कहीं खुशी तो कहीं गम साफ नजर आ रहा है। 8 अक्तूबर तक सरकार ने इस बारे में जारी अधिसूचना को लेकर संबंधित लोगों से आपत्तियां ली। मंडी नगर निगम को लेकर भी दो दर्जन से अधिक पंचायतों और समूहों से इसे लेकर आपत्तियां दर्ज हुई हैं जबकि पक्ष में भी कुछ ज्ञापन सरकार को भेजे गए हैं। मंडी नगर निगम की अधिसूचना की बात करें तो इसे लेकर जिस तरह से शहर और ग्रामीण हल्के आपस में बंटते नजर आए, शहरी और ग्रामीण हल्कों में जिस तरह से एक वैमन्सय पैदा होता दिखा, एक खाई आपसी सदभाव में पैदा होने लगी, शायद सरकार ने इस भांप लिया। यहां तक कि यह समर्थन और विरोध दलगत राजनीति से उपर उठकर शहर ग्रामीण क्षेत्र से जोड़ कर किया जा रहा है। </p>
<p>मंडी शहर के साथ लगती 13 पंचायतों के 25 मुहालों के लोग जिस तरह से मुखर होकर नगर निगम में मिलाए जाने के प्रस्ताव के विरोध में खड़े हो गए, शहर में आकर जलसा जलूस किया, गांव को गांव ही रहने तो शहर मत बनाओ, मेरा गांव सबसे सुंदर सबसे प्यारा, मुझे शहर में नहीं होना है शामिल जैसे नारों से एक हवा बनाने का प्रयास किया, फिलवक्त तो उसका ही असर लग रहा है कि सरकार ने इस कवायद को कुछ टाल दिया। यूं भी सरकार यदि जनगणना 2021 का आंकड़ा आने के बाद मंडी को नगर निगम बनाए तो आसानी से निर्धारित 40 हजार की आबादी का आंकड़ा पूरा हो जाएगा।</p>
<p>2011 की जनगणना के अनुसार मंडी नगर की जनसंख्या 26421 है जबकि 10 सालों में यह 35 हजार के आसपास पहुंच जाएगी। इसके साथ ही शहर के साथ सटे भियूली, सनयारड़ी, पंजैहटी, नेला, कटौला रोड़ बाड़ी गुमाणू आदि एक तरह से शहर का हिस्सा बन गए हैं, इनको मिला कर आबादी 40 हजार हो जाएगी। नगर निगम भी बन जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों का विरोध भी नहीं होगा। अब ऐसे ऐसे गांवों को इन नगर निगम में मिलाने का प्रस्ताव इसमें रख दिया था जो मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर नितांत ग्रामीण हल्के हैं। शहर के साथ सटी शहर जैसी दिखने वाली आबादी वाले इलाके तो नगर निगम में मिलाए जाएं तो वह कुछ समझ में आता है। मगर केहनवाल, दुदर, बैहना, भड़याल, बिजणी का उपरी इलाका, तल्याड़ आदि तो ठेठ ग्रामीण क्षेत्र हैं। </p>
<p>अब सरकार ने जो नगर निगम के इस प्रस्ताव को फिलहाल टालने का संकेत दिया है तो लगता है कि इसमें जो विरोध हुआ है उससे सरकार को पंचायत चुनावों में नुकसान का डर सता रहा है। साथ ही प्रशासन भी विरोध कर रहे लोगों को नगर निगम के फायदों बारे समझा नहीं पाया है, विरोध के स्वर पक्ष में आने वाली आवाजों से कहीं ज्यादा बुलंद होकर सामने आए हैं। फिर इसमें सबसे बड़ा विवादास्पद कार्य तो सरकार ने नगर परिषद नेरचौक से पांच ग्रामीण वार्डों को बाहर निकाल कर खुद ही पैदा किया। एक तरफ सरकार पांच वार्डों को नगर परिषद से बाहर कर रही है तो दूसरी तरफ मंडी नगर निगम में नए ग्रामीण इलाकों को शामिल कर लिया गया। इसको लेकर भी सरकार की खूब आलोचना हुई है। </p>
<p>अब नगर निगम की कवायद को रोकने की सूचना से शहर की संस्थाएं जो इसे लेकर बेहद उत्साहित थी, जिनका यह मानना था कि मंडी के मुख्यमंत्री होने के नाते जय राम ठाकुर हर हालत में नगर निगम बना ही देंगे के प्रतिनिधि बेहद मायूस है जबकि ग्रामीण हल्के की 13 पंचायतों के 25 मुहालों में एक तरह से जश्न का माहौल है। ये लोग इसे अपनी जीत बता रहे हैं। कुछ भी हो यदि सरकार वर्ष 2021 में जनगणना के आंकड़े आने के बाद इस कवायद को शुरू करे तो यह तत्काल सिरे चढ़ सकती है।</p>
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