शिमला में डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन के लिए रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों को काम देने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच शिमला महापौर कुसुम सदरेट ने कहा है कि निगम ने किसी भी रोहिंग्या शरणार्थी को काम पर नहीं रखा है। मेयर ने कहा कि हिमाचल की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस तरफ से किसी बाहरी व्यक्ति को काम पर नहीं रखेगें बल्कि हिमाचल के लोगों को ही काम पर रख कर रोजगार दिया जायेगा और कम्पनी को इस तरफ के लोगों को काम पर न रखने की हिदायत दी जाएगी।
मेयर ने कहा कि निगम ने रोहिंग्या मुसलमानों को काम पर रखने की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि ना ही हम किसी से मिले हैं और न ही हमने किसी को काम पर रखा है। मेयर का कहना है कि हमारे प्रदेश की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है और हम ऐसा कदम कभी नहीं उठाएंगे। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा अभी तक किसी भी व्यक्ति को काम पर नहीं रखा गया है, केवल इसके लिए टेंडर भरे गए हैं।
कुसुम सदरेट ने कहा कि हमने मंडी की एक कंपनी एमके टेंडर को टेंडर देने पर चर्चा की गई थी। मेयर ने बताया कि उन्होंने ठेकेदार से बात की थी कि आप लेबर लेकर आएं और उसके बाद उसपर चर्चा की जाएगी, लेकिन अभी तक वो लेबर लेकर ही नहीं आए हैं। महापौर ने मीडिया में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर चल रही अफवाहों का पुरजोर खंडन किया है।