मॉनसून से हिमाचल प्रदेश में 43 दिनों में 400 करोड़ से ज़्यादा का नुकसान हो चुका है। लोक निर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 271 करोड़ का नुकसान पहुंचा है। आईपीएच विभाग को 115 करोड़ की चपत लग चुकी है। 39 मकान ढह चुके है, जिनमें 33 मकान कांगड़ा, 3 शिमला और मंडी, बिलासपुर और चंबा में एक-एक मकान को नुकसान पहुंचा है। बारिश ने 48 कच्चे मकान को भी मिट्टी में मिला दिया। इसके अलावा राज्य में 62 पक्के मकानों सहित 316 कच्चे मकानों को हल्का नुकसान हुआ है।
हिमाचल में 8 दुकानें, 6 पुल और 340 गोशालाएं भी बह गई। इतना ही नहीं सूबे में मॉनसून ने 187 लोगों को काल का ग्रास बना लिया। सीजन में सबसे ज्यादा 100 मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हुई, जबकि भूस्खलन से कांगड़ा में 10 लोगों की, किन्नौर में 9 कई मौत हुई है औऱ शिमला में भी दो लोगों की मौत हुई है। 19 लोगों की जान डूबने से हुई। डूबने वालों में सबसे ज़्यादा कांगडा में आठ, कुल्लू औऱ मंडी में तीन-तीन, बिलासपुर में दो, हमीरपुर, लाहुल स्पीति व शिमला में एक-एक लोगों की मौत हुई है।
यही नही मॉनसून के दौरान सांप के डसने से 7 लोगों की जान गई। 4 लोग अभी भी लापता है। राज्य में गिरने से भी 21 लोग अपनी जान गंवा चुके है। चुके हैं। 374 पशुओं और पक्षियों की मौत भी हुई है। राज्य आपदा प्रबंधन के निदेशक सुदेश मोख्टा ने बताया कि सांगला में चट्टानें आने के बाद अभी सड़क बन्द है। आज शाम तक इसके खुलने की उम्मीद है। आज से चंडीगढ़ से 3 सदस्यीय जियोलॉजिकल टीम भी किन्नौर में आ रही है जो इस घटना का सर्वे करेगी।