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प्राकृतिक खेती से 24 फ़ीसदी कम होती है ग्लोबल वार्मिंग, बीमारियों से मिलती है निजात: आचार्य देवव्रत

शिमला में आज प्रदेशभर के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान जुटे हैं। कृषि विभाग ने शिमला के पीटरहॉफ में एक दिवसीय उत्कृष्ट किसान सम्मेलन आयोजित किया।

पी.चंद |

शिमला में आज प्रदेशभर के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान जुटे हैं। कृषि विभाग ने शिमला के पीटरहॉफ में एक दिवसीय उत्कृष्ट किसान सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में प्रदेश के प्राकृतिक खेती करने वाले 450 से ज्यादा किसान पहुंचे। हिमाचल के राज्यपाल रहे और वर्तमान में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जबकि कृषि मन्त्री वीरेंद्र कंवर भी सम्मेलन में शामिल हुए। सम्मेलन में किसानों के सम्मान के साथ-साथ हिमाचल और गुजरात दोनों के सांझे प्रयास से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई गई। हिमाचल और गुजरात के किसान एक दूसरे के प्रदेशों में जाकर अपने अनुभव सांझा करेंगे।

2018 से हिमाचल में 1 लाख 71 हज़ार किसान बागवान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। हिमाचल में प्राकृतिक खेती की शुरुआत आचार्य देवव्रत ने ही की थी। जो अब हिमाचल की दस हज़ार हेक्टेयर भूमि पर की जा रही है। आचार्य देवव्रत ने कहा प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों का बिलकुल इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सिर्फ प्रकृति और पशुधन के मलमूत्र से बनी खादों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे फसलों का उत्पादन भी बढ़ रहा है साथ इन फसलों से उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों से शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। उन्होंने बताया की प्राकृतिक खेती से 24 फीसदी ग्लोबल बर्मिंग कम होती है। कैंसर जैसी बीमारियों से निजात मिलती है.

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक खेती को आंदोलन के रूप में लिया है और बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती करने वाला देश का पहला राज्य है। यहां पर पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्रयासों से ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया गया है। इसके बाद देश के कई राज्य हिमाचल के प्राकृतिक खेती के मॉडल को अपना रहे हैं। हिमाचल के बाद गुजरात का राज्यपाल बनने के बाद आचार्य देवव्रत वहां भी प्राकृतिक खेती को शुरू करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इसी मकसद से आज शिमला में किसान सम्मेलन बुलाया गया है। आज की कार्यशाला में हिमाचल के कृषि मंत्री, कृषि सचिव समेत कई अधिकारी शामिल हुए।