शिमला का टाउन हॉल अपने ऐतिहासिक गोथिक वास्तु कला के भवनों के लिए विख्यात अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के ज्यादातर ऐतिहासिक और विरासती भवन जर्जर हो चुके थे। एक ऐसा ही विरासती भवन था शिमला का प्रसिद्ध टाउन हॉल जिसके जीर्णोद्धार का कार्य पूरा होने के बाद सिंतबर माह में उद्घाटन भी चुका है। अभी ये हॉल किसको मिलना चाहिए इस पर भी कोई निर्णय नही लिया जा सका है इससे पहले ही इस भवन का रंग रोगन धूप से फीका पड़ गया है। जिसको एक बार फ़िर रंग रोगन किया जा रहा है। कारीगर यहां काम करते देखे जा रहे हैं।
टाऊन हॉल के जीर्णोद्धार पर 8 करोड़ से ज़्यादा का खर्चा हुआ था। मुख्यमंत्री जब इसका उदघाटन करने आये थे उस वक़्त भी दीवार की पपड़ी निकल गई थी। साथ ही घटिया सामग्री लगाने की बात भी सामने आई थी। पर्यटन विभाग ने इसका कार्य करवाया है। जिसके ऊपर कई सवाल उठ रहे हैं।
यहां गौर रहे कि जीर्णोद्धार का कार्य शुरू होने से पहले ये ऐतिहासिक भवन नगर निगम शिमला के पास था। लेकिन भवन के जीर्णोद्धार के बीच ही मामला हाइकोर्ट में चला गया कि ये भवन किसको मिलना चाहिए। कोर्ट में इस भवन को एक पुस्तकालय या म्यूसियम के रूप में बदलने के लिए याचिका डाली गई है।
110 साल पुराने इस भवन का निर्माण 1908 में किया गया था और इसका डिजाइन स्कॉटलैंड के आर्किटेक्ट जेम्स रेंजैम द्वारा बनाया गया था। लेकिन रखरखाव न होने और शिमला नगर निगम की अनदेखी के चलते यह भवन जर्जर हो गया था। अब 8 करोड़ 2 लाख के खर्चे से जीर्णोद्वार का कार्य किया गया। टाउन हॉल शिमला शहर की एक प्रसिद्ध विरासत इमारत है जिसका निर्माण सन् 1908 किया गया था।