No effigy burning Hamirpur : हमीरपुर शहर में पिछले 3 वर्षों से दशहरे का आयोजन नहीं हो पा रहा है। इस साल भी रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले नहीं जलाए जाएंगे, क्योंकि प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद स्कूल के मैदानों में किसी भी प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगी हुई है। रामनाटक कला मंच के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने बताया कि 1950 से रामलीला का आयोजन हो रहा है, लेकिन पुतले दहन की अनुमति न मिलने से दशहरा नहीं मनाया जा रहा। शहर के व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन से इस पर्व के आयोजन की मांग की है।
हमीरपुर शहर में दशहरा पर्व पहले एक महत्वपूर्ण उत्सव होता था, जिसमें हजारों की संख्या में लोग भाग लेते थे। हालांकि, पिछले तीन सालों से हाईकोर्ट के आदेश और बाल स्कूल के मैदान में कोरियन घास लगाए जाने के बाद से इस आयोजन पर रोक लगी हुई है। पूर्व दशहरा कमेटी के प्रधान दीप बजाज ने बताया कि पहले दशहरे का आयोजन शहर का सबसे बड़ा पर्व हुआ करता था, लेकिन अब यह ठप पड़ा है।
स्थानीय दुकानदार सुभाष वर्मा और प्रवीन ने कहा कि हमीरपुर में दशहरा न मनाने से लोगों में निराशा है, और उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से इस त्यौहार के आयोजन की अपील की है। वहीं, जसवंत ने बताया कि स्कूल मैदान में घास लगाने के बाद अब अन्य कोई स्थान उपलब्ध नहीं है जहां इस पर्व का आयोजन किया जा सके।
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