हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों के पौने दो लाख छात्रों को बड़ी राहत मिली है। उनसे वसूली जाने वाली फीस पर जीएसटी नहीं लगेगा। वर्ष 2017 से लागू जीएसटी एक्ट में फीस पर सर्विस टैक्स लिया जाएगा या नहीं, इस पर देश के अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ ही फैसला होगा।
फिलहाल, फीस पर जीएसटी वसूली का मामला टल गया है। बता दें कि डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस की ओर से एचपीयू को साल 2012 से लेकर वसूली गई फीस और समस्त स्रोतों से हुई आय पर सर्विस टैक्स की देनदारी चुकाने को 25 जनवरी को नोटिस दिया था। विवि ने चंडीगढ़ स्थित डीजी कार्यालय में कंसलटेंट और रिकार्ड के साथ अपना पक्ष रखा, जिसमें यह फैसला हुआ है।
वर्ष 2015 से फीस में की गई भारी-भरकम बढ़ोतरी के बाद छात्रों पर जीएसटी का बोझ फिलहाल नहीं पड़ेगा। इससे विवि में पढ़ने वाले करीब सवा लाख यूजी और 50 हजार पीजी कोर्स के छात्रों को राहत है। पक्ष रखने गए विवि के पूर्व कुलसचिव प्रो. एसएस नारटा, वित्त अधिकारी नरेंद्र ठाकुर और कंसलटेंट ने विवि को एक नॉन प्रॉफिट संस्था होने के नाते फीस के रूप में होने वाली आय से अधिक पैसा परीक्षा संचालन पर व्यय होने का तर्क रखा।
बता दें कि ये मामला तब सामने आया जब डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस की ओर से एचपीयू को वर्ष 2012 से लेकर वसूली गई फीस और समस्त स्रोतों से हुई आय पर सर्विस टैक्स की देनदारी चुकाने के लिए 25 जनवरी को नोटिस दिया गया। विवि ने चंडीगढ़ स्थित डीजी कार्यालय में कंसलटेंट और रिकॉर्ड के साथ अपना पक्ष रखा, जिसमें यह फैसला हुआ कि फिलहाल छात्रों से जीएसटी नहीं वसूला जाएगा।