देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सत्याग्रह सिर्फ अंग्रेजों से आजादी के लिए नहीं था बल्कि वो सत्याग्रह देश की गंदगी से आजादी का भी था, जिससे देश का हर शहर और गांव विकास की उड़ान भरे.. लेकिन उस मुहिम को जिसने आज भी संजोय रखा है और जो आज भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कर्तव्य पथ पर चल रहा है, वो हिमाचल प्रदेश का सबसे विकसित ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां है. ऐसा इसलिए क्योंकि नगरोटा बगवां ने स्वच्छता में मिसाल कायम कर हिमाचल प्रदेश के पहले शहर में अपना स्थान हासिल कर लिया है. स्वच्छता सर्वेक्षण में नगरोटा बगवां को पहले स्थान पर रखते हुए स्वच्छ सिटी अवार्ड से नवाजा गया है.
हर क्षेत्र में नगरोटा बगवां हमेशा से नंबर-1 पर ही रहा है. विकासपुरुष श्री जीएस बाली जिस तरह से नगरोटा बगवां के विकास को गति देते रहे, जिस तरह से नगरोटा बगवां को बुलंदियों तक ले गए. इसका नतीजा से है कि इस विधानसभा क्षेत्र के आगे बढ़ने की गति अब रुकने का नाम नहीं ले रही. आज विकासपुरुष श्री जीएस बाली के बेटे आरएस बाली ने उनकी बागडोर संभाली है और बड़ी-बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारने में जुटे हैं. नगरोटा बगवां के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री रैंक RS बाली लगातार नगर परिषद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखते हैं. RS बाली का सफल प्रयास होता है कि वो सरकार की तरफ से तो नगरोटा बगवां के विकास के लिए बजट उपलब्ध करवाएं ही, साथ ही जहां कोई कमी पेशी हो तो अपने निजी खर्चे से भी मदद करने में पीछे नहीं हटते. यही कारण है कि आज नगरोटा बगवां स्वच्छ शहरों में पहले नंबर पर पहुंच गया है.
अब आपको बताते हैं कि ऐसी कौनसी तकनीक है, जिसे नगर परिषद धरातल पर उतारता दिख रहा है. दरअसल, सभी वार्डों में घर-घर से गीला और सूखा कचरा उठाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है.. इस मास्टर प्लान पर परिषद की ओर से गंभीरता से काम किया गया. इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों और रेहड़ियों को प्रयोग में लाया जाता है. नगर के वेस्ट मैटीरियल को प्रोसेस करने के लिए प्रोसेसिंग मशीन स्थापित की गई है. नगर में सार्वजनिक स्थानों में स्टेनलेस स्टील की सीटों से युक्त दो शौचालय बनाए गए, जबकि अन्य शौचालयों में नियमित सफाई का प्रबंध किया गया. शहर में एकत्रित होने वाले पॉलिथीन को अंबुजा सीमेंट फैक्ट्री में भेजा जाता है, जिसके लिए अम्बुजा से बाकायदा एमओयू साइन किया गया था. जबकि एक प्राधिकृत कंपनी से ई-वेस्ट के निस्तारण का भी पूर्ण प्रबंध किया गया है. नगर परिषद सफाई को लेकर निरंतर गंभीर प्रयास करती है और इसके लिए अतिरिक्त सफाई मजदूर लगाए गए हैं. डोर टू डोर गारबेज, सफाई व्यवस्था, कूड़े का निष्पादन, शौचालय की सफाई-सफाई को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने शहरों को पुरस्कार से नवाजा गया है.
स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में स्टेट रैंक की बात करें, तो नगरोटा बगवां के साथ राजधानी शिमला भी सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है. प्रदेश में शिमला पिछले साल भी पहले स्थान पर था.. इस बार नगरोटा बगवां ने रैकिंग में सुधार कर छठे से पहला स्थान पाया है. ये सिर्फ स्वस्छता की बात ही नहीं है, बल्कि नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र में पिछले 30 सालों में जो विकास के काम हुए हैं, उससे प्रदेश औऱ देश तो क्या दुनिया के लोग भी मानते हैं. नगरोटा बगवां ही एक ऐसा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है, जहां हर छोटे से बड़ा संस्थान स्थापित है. स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक और डिपो से लेकर बड़े-बड़े सरकारी भवनों तक. हर कार्यालय और संस्थान नगरोटा बगंवा में मौजूद हैं. ये हिमाचल प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी मिसाल है. खास बात ये है कि एक साल पहले तक नगरोटा बगवां स्वस्छता के पायदान पर छठे स्थान पर था, लेकिन एक साल में जैसी ही व्यवस्था परिवर्तन हुआ. जन प्रतिनिधियों के प्रयासों से नगरोटा बगवां नंबर-1 पर पहुंच गया. मौजूदा विधायक और कैबिनेट मंत्री रैंक RS बाली आने वाले 4 साल में नगरोटा बगवां के लिए हर वो काम करने का प्रयास कर रहे हैं, जो उनके पिता विकासपुरूष श्री जीएस बाली की सोच और संकल्पों में रहा है.
स्वच्छ भारत मिशन की शुरुवात 2 अक्टूबर 2014 से हुई थी, जो पेयजल और स्वच्छता मंत्रायल द्वारा शुरू किया गया था. इसकी निगरानी क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ( QCI ) करती है. इसका मकसद देश के सभी शहरों को स्वच्छ और सुंदर रखना है. स्वच्छता सर्वेक्षण की शुरुआत 2016 में की गई थी, तभी से ये इसी तरह निरंतर चला आ रहा है. ये दुनिया का काफी बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण है. ये कस्बों और शहरों में स्वच्छता प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक रहा है. स्वच्छता सर्वेक्षण के अंतर्गत पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा एक सर्वे कराया जाता है. इसमें जो सबसे स्वच्छ शहर हो उसे पुरस्कृत किया जाता है कार्यप्रणाली की बात करें, तो नवीनतम टूलकिन के अनुसार ये सर्वेक्षण 7500 अंकों के लिए किया जाता है. इसमें 3 पैरामीटर होते हैं- 3000 अंकों के लिए सेवा स्तर की प्रगति, 2250 अंकों के लिए नागरिकों की आवाज और 2250 अंकों के लिए प्रमाणीकरण. स्वच्छता सर्वेक्षण स्थानीय नगर निकायों की तरफ से उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों, स्वतंत्र मूल्यांकन और लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर शहरों का मूल्यांकन करता है.