Padma Shri Musafir Ram Bhardwaj: जनजातीय क्षेत्र भरमौर से संबंध रखने वाले पद्मश्री मुसाफिर राम भारद्वाज का 105 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पारंपरिक वाद्य यंत्र ‘पौण माता’ के प्रसिद्ध वादक थे और उन्होंने अपनी कला से न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी पहचान बनाई। मुसाफिर राम ने शुक्रवार रात 8 बजे अपने गांव पतरालुआं, तहसील धारकलां, दुनेरा (पठानकोट) स्थित आवास में अंतिम सांस ली।
उनके भतीजे, सेवानिवृत्त प्रिंसिपल प्रकाश भारद्वाज ने बताया कि मुसाफिर राम पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पतरालुआं स्थित श्मशानघाट में किया गया।
मुसाफिर राम का जन्म 1930 में भरमौर के सचुईं गांव में हुआ था। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाना सीख लिया था। इस वाद्य यंत्र को तांबे के ढांचे पर भेड़ की खाल से बनाया जाता है।
पद्मश्री मुसाफिर राम ने अपने संगीत से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया और 2010 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भी प्रस्तुति दी थी। उनकी शांति और सादगी को लोग हमेशा याद करेंगे, और उनका आशीर्वाद ‘शिव तेरा भला करला’ हमेशा लोगों को याद रहेगा। उनके निधन पर विभिन्न नेताओं और समाजसेवियों ने शोक व्यक्त किया है।
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