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‘पहाड़ी गांधी’ की कुर्बानी का ठाकुर राज में पड़ा मोल, खंडहर होता घर बनेगा राष्ट्रीय संग्रहालय

<p>भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी पहाड़ी कविताओं के दम पर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर देने वाले हिमाचल प्रदेश के महान क्रांतिकारी बाबा कांसी राम की कुर्बानी का अब जाकर मोल पड़ा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी के खड़हर होते घर को राष्ट्रीय संग्रहालय के तौर पर विकसित करने के लिए घर का अधिग्रहण करने के लिए उपायुक्त कांगडा को आदेश जारी कर दिए हैंं।</p>

<p>प्रदेश की सियासत की थोड़ी सी समझ रखने वाले जानते हैं कि पहाड़ी बाबा कांसी राम के राम पर सियासी रोटियां सेंकने में कांग्रेस- भाजपा दोनों ने कोई कोर कसर नहीं रखी, लेकिन उनकी कुर्बानियों और निशानियों को सहेजने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। स्वतंत्रता सेनानी के मान और सम्मान का जो काम हिमाचल के निर्माण के साथ ही हो जाना चाहिए था, प्रदेश के पांच मुख्यमंत्रियों डॉ. वाई एस परमार, ठाकुर राम लाल, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्राथमिकता के आधार पर इस पुनीत कार्य को सिरे चढ़ा कर धरोहर संरक्षण की एक नई रीत की शुरूआत की ।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>राष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा पहाड़ी के रचनाकार का घर</strong></span></p>

<p>आमजन की बोली में दमदार आवाज से क्रांति का बिगुल फूंकने वाले लोककवि कांसी राम ने &lsquo;पहाड़ी सरगम&rsquo;, &lsquo;कुनाळे दी कहाणी&rsquo; &lsquo;क्रांति नाने दी कहाणी कांसी दी जुबानी&rsquo; (1857 जंग- ए- आजादी एक वर्क), &lsquo;अंग्रेजी सरकारा दे ढिगा पर ध्याड़े&rsquo;, &lsquo;समाज नी रोया&rsquo;, &lsquo;निक्के -निक्के माहणुआ जो दुख बड़ा भारी&rsquo;, &lsquo;उजड़ी कांगड़े देस जाणा&rsquo;, &lsquo;मेरा स्नेहा भुख्खेयां नंगेयां जो&rsquo; और &lsquo;कांसिए दा स्नेहा&rsquo; से पहाड़ के लोगों में आजादी का जुनून भर दिया था। एक क्रांतिकारी का लेखन कितना मुखर था इसकी गवाही उन्हें मिली &lsquo;पहाड़ी गांधी&rsquo; और &lsquo;बुलबुले पहाड़&rsquo; जैसी उपाधियां देती हैं। उनके रचनाकर्म का गवाह घर अब राष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा।</p>

<p><span style=”color:#f39c12″><strong>खंडहर होते घर से नेशनल म्यूजियम तक का सफर</strong></span></p>

<p>साल 2009 में पहाड़ी गांधी बाबा कांसी राम के घर के अधिग्रहण की कवायद शुरू हुई, लेकिन रास्ते में भटक गई। फोकस हिमाचल के बैनर तले साल 2017 में बाबा कांसी राम की कुर्बानियों को मान सम्मान देने का प्रमुखता से उठाया और इसे प्रदेश के साहित्यकार वर्ग का खूब सहयोग मिला। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को मांगपत्र सौंपा गया। 15 अप्रैल 2017 को चंबा में आयोजित हिमाचल दिवस के अवसर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को फोकस हिमाचल टीम ने विस्तृत रिपोर्ट के साथ ज्ञापन दिया। 10 जुलाई 2017 को पहाड़ी गांधी बाबा की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री ने खंडहर होते इस क्रांतिकारी के घर को राजकीय स्मारक के रूप में विकसित करने का की घोषणा की। अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई पर विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण यह मुहिम ठंडे बस्ते में चली गई। सत्ता परिवर्तन के बाद जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार का गठन हुआ तो फोकस हिमाचल ने मुख्यमंत्री के समक्ष पर मुद्दे को उठाया।</p>

<p>11 जुलाई 2018 को बाबा की जयंती का राज्य स्तरीय समारोह नगरोटा बगवां में आयोजित कियार जा रहा था, उसी शाम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने घोषणा की कि जल्दी ही बाबा के घर का अधिग्रहण कर&nbsp; राजकीय स्मारक के तौर पर&nbsp; विकसित&nbsp; किया जाएगा। काफी हद तक अधिग्रहण&nbsp; की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी कि इसी बीच लोकसभा चुनाव&nbsp; के&nbsp; लिए आचार संहिता लग गई। 11 जुलाई&nbsp; 2019&nbsp; को पहाड़ी गांधी बाबा काशीराम जयंती&nbsp; का आयोजन राजकीय महाविद्यालय बाबा बड़ोह में आयोजित किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्यातिथि पधारीं शहरी आवास मंत्री सरवीण चौधरी ने मुख्यमंत्री का संदेश पढ़ कर सुनाया कि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से बाबाजी के घर को राजकीय स्मारक के रूप में विकसित होना होते देखना चाहते हैं। अब सरकार ने अधिग्रहण से सम्बंधित तमाम औपचारिकताएं पूरी कर उपायुक्त कांगड़ा को अधिग्रहण के आदेश दिए हैं। पहाड़ी गांधी बाबा कांसी राम के पोते विनोद शर्मा ने बाबा की कुर्बानियों को सम्मान दिलवाने के लिए आवाज मुखर करने वाले प्रदेश के सभी साहित्यकारों का धन्यावाद किया है।</p>

<p><span style=”color:#27ae60″><strong>बाबा के नाम पर कैरों ने दिया मिडल स्कूल</strong></span></p>

<p>पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने डाडासीबा में पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम मिडल स्कूल दिया था। इस स्कूल का उद्घाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री लाला जगत नारायण ने 1954 में सवैया राजाओं की पुरानी घुड़साल में किया। वर्ष 1967 में तत्कालीन विधायक कामरेड परशुराम ने बाबा कांशी राम के जन्मदिवस पर टूर्नामेंट शुरू करवाया, जो कि 2002 के बाद राजनीति की भेंट चढ़ गया। &nbsp;</p>

<p><span style=”color:#8e44ad”><strong>बाबा के सम्मान के लिए लड़े पराशर</strong></span></p>

<p>नारायण चंद पराशर एकमात्र नेता थे, जिन्होंने बाबा कांशी राम की कुर्बानियों को मान दिया। उन्होंने सांसद रहते हुए मुल्तान से लेकर कालापानी तक हर उस जेल के रिकॉर्ड और साक्ष्य जुटाए, जिनका संबंध पहाड़ी गांधी से रहा था। उन्होंने पहाड़ी गांधी के नाम पर डाक टिकट जारी करवाया।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(4649).jpeg” style=”height:321px; width:220px” /></p>

<p>बाबा को सम्मान दिलवाने के लिए बतौर सांसद उन्होंने संसद में बहस की और तमाम सबूत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपे। 1984 में प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बाबा के नाम का डाक टिकट जारी किया।<br />
&nbsp;<br />
<span style=”color:#2980b9″><strong>प्रेम भारद्वाज को पहला पहाड़ी गांधी बाबा पुरस्कार</strong></span></p>

<p>देहरा से संबध रखने वाले पूर्व सांसद हेमराज सूद की मेहनत और प्रेरणा से 1981 में हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी हिमाचल प्रदेश ने पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम जयंती का आयोजन शुरू किया और पहाड़ी साहित्य के लिए बाबा कांशी राम पुरस्कार योजना शुरू की। पहाड़ी गजल को नई पहचान देने वाले डॉ. प्रेम भारद्वाज को पहला पहाड़ी गांधी बाबा पुरस्कार मिला।</p>

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