हिमाचल

पांवटा साहिब: जनजातीय क्षेत्र में हर त्योहार विचित्र और दिलचस्प

सिरमौर जिले का गिरीपार जनजातीय क्षेत्र का हर त्योहार विचित्र और दिलचस्प है। जनजातीय क्षेत्र में कुछ स्थानों पर ऋषि पंचमी पर्व मनाया जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन महासू देवता के दिवालयों में मनाया जाता है।

इस पर्व में रात्रि जागरण के दौरान देवता के गुरों की शक्ति हैरान करने वाली होती है। देवता के गुर धधकते शोलों के साथ खेलते हैं और आग में कूदते हैं। दिलचस्प बात यह होती है कि आग से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचता है। शिलाई क्षेत्र के नावणा गांव से ऐसी हैरान करने वाली तस्वीरें देखने को मिली।

आग से खेलते देवता के गुर। कभी शोलों को हाथ में उठते हैं कभी जलती आग का धुआं मुहँ में लेते हैं। तो कभी शोलों के बीच ही कूद जाते हैं। ऐसी तस्वीर शिलाई क्षेत्र के नावणा गांव की हैं। यहां ऋषि पंचमी पर्व मनाया जा रहा है। महासू देवता का यह पर्व सदियों से लोगों की आस्था और क्षेत्र में देव शक्तियों के साक्षात विराजमान का प्रमाण है। देवता के गुरों में इस पर्व के अवसर पर विचित्र शक्ति प्रवेश करती है।

शक्ति के प्रवेश का प्रमाण यह है कि आग से इन गुरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। आग से इनको कोई नुकसान नही पहुंचता। गिरिपार जनजातीय क्षेत्र के लोग अक्सर ऐसी तस्वीर देखते हैं। मगर अन्य लोगों के लिए यह तस्वीर हैरान करने वाली हैं। ऋषि पंचमी के अलावा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन यानी गुग्गा नवमी के दिन भी देवालयों में ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है।

सुखद बात यह है कि इन परंपराओं और शक्तियों के आगमन पर आधुनिकता लेश मात्रा भी असर नजर नहीं आता । क्षेत्र में आज भी यह त्यौहार प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ही मनाए जाते हैं। क्षेत्र के युवा परंपराओं के ध्वजवाहक बने हुए हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि क्षेत्र में आज भी देवी शक्तियां विराजमान है।

वही शक्तियां लोगों की आपदाओं और काल आदि से रक्षा करती हैं। गुग्गा नवमी और ऋषि पंचमी पर इन शक्तियों को साक्षात देखा जा सकता है। लोगों का कहना है कि जिन गुरों में देवताओं की हवा आती है, उनको आग भी कोई नुकसान नहीं पहुंच पाती।

ऋषि पंचमी त्योहार जनजातीय क्षेत्र के ऐसे गांव में मनाया जाता है जहां महासू देवता के मंदिर हैं। इस अवसर पर यहां रात्रि जागरण भजन कीर्तन और भंडारे के साथ-साथ नाच गाना और उल्लास होता है। पर्व का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से लोग इन गांव में पहुंचते हैं। देवता के गुरों से अपनी समस्याओं के समाधावन पूछते हैं और सुखी जीवन का आशिर्वाद लेते हैं।

Kritika

Recent Posts

लेह-दिल्ली रूट पर एचआरटीसी की बस सेवा बंद, जून 2025 तक बहाल होगा रूट

  अब यात्रियों को मनाली-केलांग-लेह के बीच टैक्सियों में मंहगा सफर करना पड़ेगा Shimla :एचआरटीसी…

10 hours ago

चिकन की दुकानों में स्वच्छता के नियम दरकिनार

  Hamirpur:जिला खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए चिकन की दुकानों के निरीक्षण में स्वच्छता…

11 hours ago

रैगिंग के आरोपी विद्यार्थी की बिना वारंट के होगी गिरफ्तारी, हो सकती है तीन साल की सजा

  Hamirpur:होटल प्रंबधन संस्थान (आईएचएम) हमीरपुर की एंटी रैगिंग समिति की बैठक वीरवार को संस्थान…

11 hours ago

कोट और मटाहणी स्कूल की छात्राओं को समझाया तनाव प्रबंधन

  Hamirpur: महिला एवं बाल विकास विभाग ने वीरवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कोट…

11 hours ago

लक्ष्य तय करें और उसके लिए कड़ी मेहनत करें

एसडीएम संजय स्वरूप ने बाहनवीं स्कूल के विद्यार्थियों को दी नसीहत महिला एवं बाल विकास…

11 hours ago

Nahan: NSUI ने दिल्ली गेट के समीप फूंका मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू का पुतला

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी के मंत्री ने की थी बयान बाजी मंत्री…

13 hours ago