बरसात की तीव्रता के बावजूद बणी, भेखल्टी, देहना, धमांदरी, गलू, मझार की जनता प्यासी है. हर परिवार को महीने में एक या दो दिन पानी मिल रहा है. आक्रोशित जनता इस समस्या के प्रति एक महीने से आंदोलन के रास्ते पर है. समस्या को लेकर भेखल्टी में चक्का जाम करने के बाद ग्रामीण एसजेपीएनएल के मुख्यालय पर भी धरना दे चुके हैं. ग्रामीणों ने जल शक्ति विभाग और एसजेपीएनएल कंपनी को चेतावनी दी है कि अगर पानी की समस्या हल न हुई तो अगला प्रदर्शन सैंज में होगा. रविवार को आंदोलन की रणनीति तैयार करने के लिए थरमटी में बैठक हुई. बैठक में तय किया गया कि समस्या को लेकर गांव-गांव में बैठकें करके लामबंदी की जाएगी.
बैठक में हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि इस क्षेत्र से गिरी और चेड़ योजनाओं से 2 करोड़ 17 लाख लीटर पानी जा रहा है लेकिन आसपास के ग्रामीण प्यासे मर रहे हैं. डॉ. तंवर ने कहा कि यह खेद का विषय है कि अमृत काल में लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ देश आज़ादी के 75 साल पूरा करेगा लेकिन दूसरी तरफ लोग बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे होंगे. उन्होंने कहा कि पानी के समस्या हल किए बगैर आंदोलन खत्म नहीं होगा.
बैठक में किसान सभा के राज्य वित्त सचिव सत्यवान पुंडीर, कसुंपटी क्षेत्रीय कमेटी के सचिव जयशिव सिंह ठाकुर, जनवादी महिला समिति की राज्याध्यक्ष डॉ. रीना सिंह, जिला सचिव सीमा चौहान, जनवादी नौजवान सभा के सचिव कपिल शर्मा शामिल रहे.