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विश्व योग दिवस पर लिखित कविता “वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग”

डेस्क |

                                                                                                                  “वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग

डॉ. रीना रवि मालपानी द्वारा विश्व योग दिवस के अवसर पर लिखी कविता….

वसुधैव कुटुम्बकम आध्यात्मिक विचार का शंखनाद है.

कोटि-कोटि कंठो से उत्पन्न यह आह्लाद है.

वसुंधरा की दान प्रवृत्ति शिरोधार्य है.

मानवता के कल्याण में योग का होना अनिवार्य है.

वसुधैव कुटुम्बकम में घृणा ईर्ष्या से ऊपर सोच का विस्तार है.

अंधकार में आशा रूपी दिये का प्रसार है.

वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग एक अविरल धार है.

सभी का हो उत्तम स्वास्थ्य यही इसका सार है.

वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग उत्कृष्ट प्रयासों की अभिव्यक्ति है.

सर्व हिताय की निश्चल भाव की यह अद्भुत कृति है.

वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग सर्वजन की पुकार है.

सभी का उत्तम स्वास्थ्य हो यही उसका आधार है.

वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग का विचार वंदनीय है.

देश की प्रगति में इसकी संस्तुति अनुकरणीय है.

वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग सनातन धर्म में निहित संस्कार है.

सारी दुनिया ही तो यहां एक परिवार है.

उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रारम्भ करना है योग.

ताकि सम्पूर्ण विश्न बन सके पुनः आरोग्य.

पुरातन पद्धति पर तनिक भी न करें संशय.

विश्व योग दिवस पर करे प्रतिदिन योग का दृढ़ निश्चय.

वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग एक सशक्त आध्यात्मिक ज्ञान है.

डॉ. रीना कहती, इस उदार भाव की तो विश्व में भी जय-जयकार है.