पौंग झील के वैटलेंड प्रबंधन, जैव विविधता एवं जलवायु संरक्षण के लिए प्लान तैयार किया जा रहा है. इसके लिए वन्य प्राणी, मत्स्य पालन विभाग, पर्यटन विभाग के साथ-साथ स्थानीय लोगों के सुझाव भी लिए जा रहे हैं. ताकि पौंग झील के वैटलेंड प्रबंधन की दिशा में सकारात्मक पहल की जा सके. सोमवार को उपायुक्त कार्यालय परिसर के सभागार में वैटलेंड प्रबंधन, जैव विविधता एवं जलवायु संरक्षण पर आयोजित वर्कशाप की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त डॅा. निपुण जिंदल ने कहा कि भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने वैटलैंड्स के संरक्षण के बेहतर प्रबंधन की दिशा में कार्य योजना तैयार के निर्देश दिए हैं जिसमें कांगड़ा जिला के पौंग झील को भी शामिल किया गया है.उपायुक्त डॅा. निपुण जिंदल ने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में वैटलैंड का संरक्षण एवं प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है, वैटलेंड्स एक ऐसा परिस्थितिय यंत्र है जो बाढ़ के दौरान जल के अधिक्य का अवशोषण करता है. वैटलैंडस के कारण जलीय चक्र निरंतर चलता रहता है तथा स्रोतों को भी स्वच्छ रखता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की जीविका भी काफी हद तक प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से वैटलैंडस पर ही निर्भर करती है.
उपायुक्त डा. निपुण जिंदल ने कहा कि पौंग झील के आसपास रहने वाले लोगों के सुझावों के आधार पर ही वैटलेंड प्रबंधन का प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही मत्स्य पालन विभाग को भी मत्स्य पालन की बेहतर संभावनाओं को लेकर सुझाव शामिल करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि पौंग झील में जलक्रीड़ाओं के बेहतर संचालन तथा उससे वैटलैंड की जैव विविधता प्रभावित न हो. इसका भी विशेष ध्यान रखा जाएगा. इसके लिए पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान को अपने सुझाव देने तथा पर्यटन विभाग को भी इसी दृष्टि से आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है.उन्होंने कहा कि वैटलैंड की जैव विविधता के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय लोगों की अजीविका के साधन को बेहतर बनाने के लिए भी सार्थक कदम उठाए जाएंगे. इस के लिए भी सभी विभागों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों की जिला स्तरीय वैंटलेंड प्रबंधन समिति गठित करने का सुझाव भी भेजा जाएगा ताकि पौंग झील का वैटलैंड जैव विविधता प्रबंधन बेहतर हो सके.