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परिवार नियोजन कैंप पर खड़े हुए सवालिया निशान

बिट्टू सूर्यवंशी |

कांगड़ा की एक महिला 10 नवंबर, 2017 को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित परिवार नियोजन कैंप में नलबंदी करवाने के बाद भी गर्भवती हो गई। विभाग की इस लापरवाही के चलते अब महिला के गर्भ में 124 दिन का नवजात पल रहा है। विभाग ने अब अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए महिला टांडा अस्पताल में जाकर एर्बोशन करवाने तक की सलाह दे डाली।

परिवार नियोजन अपनाने के बाद गर्भवती हुई पीड़ित महिला के पति ने बताया कि उन्होंने बाबा बड़ोह तहसील से संबंधित आशा वर्कर के कहने पर 10 नवंबर, 2017 को सिविल अस्पताल नगरोटा बगवां में आयोजित परिवार नियोजन शिविर में आपरेशन करवाया। पीड़ित के अनुसार उनके पहले से ही दो बच्चे हैं और इसी के चलते उन्होंने परिवार नियोजन का आपरेशन करवाया था।  उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग ने अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए उन्हें टांडा में एर्बोशन करवाने की सलाह दी और एर्बोशन करवाने के लिए लिख दिया।

चिकित्सक की सलाह के बाद जब वे टांडा पहुंचे तो वहां पर चिकित्सकों ने महिला का एर्बोशन करने से मना कर दिया। टांडा के चिकित्सकों ने तर्क दिया कि अब महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा 124 दिन का हो चुका है। ऐसे में एर्बोशन करवाने से जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा हो सकता है। इसके चलते उन्होंने एर्बोशन नहीं किया।

पीड़ित ने कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके चलते अब 3 माह से पत्नी के गर्भवती होने की स्थिति में मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से परिवार नियोजन करने वाले चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने तीसरा बच्चा होने की स्थिति में उसकी परवरिश का जिम्मा सरकार से उठाने की मांग की है।