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MNC की नौकरी छोड़ स्वरोजगार की दुनिया में महका भद्रकाली का रविंद्र पराशर

<p>जिला ऊना के भद्रकाली ग्राम पंचायत निवासी रविंद्र पराशर ने बिट्स पिलानी जैसे देश के जाने-माने संस्थान से बीटैक औऱ एमबीए के कोर्स करने के बाद युवा रविंद्र पराशर ने स्वरोजगार की राह चुनी। हिमाचल प्रदेश सरकार की स्टार्ट अप योजना का लाभ उठाकर हर्बल अगरबत्ती बनाने का व्यवसाय शुरू किया और अपने ही घर पर छोटा सा यूनिट लगाया। जिससे वह आज अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। साथ ही उनके उद्योग में आज 18 लोगों को रोजगार मिला है। जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं।</p>

<p>प्रदेश सरकार की स्टार्ट अप योजना से प्रेरित होकर रविंद्र पराशर ने उद्योग विभाग को नवंबर 2018 में मंदिर के फूलों से हर्बल अगरबत्ती उद्योग लगाने का आइडिया दिया। आइडिया स्वीकार होने के बाद इस काम की अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए रविंद्र को डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी भेजा गया, जहां पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उन्हें इस काम की बारीकियों से अवगत करवाया। इस दौरान उन्हें स्टार्ट अप योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार की ओर से प्रतिमाह 25 हजार रुपए प्रोत्साहन भत्ता भी प्रदान किया गया।</p>

<p>रविंद्र पराशर का कहना है &quot;अमेरिका की एक एमएनसी में नौकरी करने के दौरान उन्हें अपने आप शुरू करने की सूझी। नौकरी के दौरान वह अमेरिका और चीन की यात्रा भी कर चुके हैं। नौकरी छोडऩे के बाद स्टार्ट अप के माध्यम से उन्हें सरकारी सहायता मिली और अब वह युवान ब्रांड नाम से प्रति माह 8 किलोग्राम से अधिक अगरबत्ती का उत्पादन कर रहे हैं।&quot;</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(5872).jpeg” style=”height:320px; width:640px” /></p>

<p><span style=”color:#e67e22″><strong>मंदिर के फूलों से बनती है अगरबत्ती</strong></span></p>

<p>अपने यूनिट में रविंद्र चार सुगंधों में अगरबत्ती का उत्पादन कर रहे हैं। इसके लिए फूलों की सुगंध का इस्तेमाल किया जाता है और फूल मंदिरों से एकत्र किए जाते हैं। जिन्हें भगवान को अर्पित करने के बाद फेंक दिया जाता है। फूलों को इक्टठा करने के बाद उन्हें सुखाया जाता है और फिर अगरबत्ती बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। आज युवान अगरबत्ती के खरीददार हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ दक्षिण भारत, असम तक हैं और उन्हें अमेरिका औऱ इंग्लैंड से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। रविंद्र का कहना है &quot;युवान हर्बल अगरबत्ती को वह ई-कॉमर्स के माध्यम से भी मार्केट कर रहे हैं। हाथ से बनी वस्तुओं की विदेशों में अधिक मांग है। ऐसे में उन्हें काफी ऑर्डर विदेश से मिल रहे हैं और अब वह एक्सपोर्ट्स के बात कर रहे हैं ताकि विदेश में उनकी अगरबत्ती अधिक मात्रा में भेजी जा सके।&quot;</p>

<p>यूनिट में काम करने वाली शिवानी ने कहा &quot;वह पिछले 9 महीने से युवान उद्योग में काम कर रही है और इससे उन्हें घर के पास रोजगार मिला है। अगरबत्ती बनाने का अधिकतर काम हाथ से होता है।&quot; स्टार्ट अप की सफलता से उत्साहित रविंद्र पराशर अब औद्योगिक क्षेत्र में अपना प्लॉट लेकर इसे बड़े पैमाने पर ले जाने की सोच रहे हैं।</p>

<p>इस बारे में महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र अंशुल धीमान ने कहा &quot;औद्योगिक क्षेत्र में प्लॉट दिलाने के लिए रविंद्र पराशर को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्लॉट की कीमत पर उन्हें 60 प्रतिशत की छूट मिलेगी तथा शुरू में सिर्फ 15 प्रतिशत पेमेंट करने के उपरांत बाकी की कीमत अगले 8 वर्षों में चुकाई जा सकती है। इसके अलावा स्वाबलंबन योजना के माध्यम से ऋण की सुविधा प्रदान की जा सकती है।</p>

<p>यदि कोई पुरूष अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता है और निवेश 40 लाख तक है तो उसे सरकार की तरफ से मशीनरी कॉस्ट पर 25 प्रतिशत विशेष सब्सिडी दी जाती है। महिलाओं को 30 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है। इसके अलावा ब्याज पर भी 5 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती है। उन्होंने कहा कि जिला के और भी युवा अगर स्टार्ट अप के माध्यम से काम करना चाहते हैं तो वह फोन नंबर 01975-223002 पर संपर्क किया जा सकता है।&quot;</p>

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