संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर रूमित सिंह ठाकुर ने कहा कि आज जिस प्रकार से गंभीरता से न्यायालय के भीतर अवैध निर्माण को लेकर सुनवाई की गई ,2010 के बाद 14 सालों में पहली मर्तबा प्रदेश सरकार ने मस्जिद की जगह पर अपना दावा पेश किया है, कि यह जगह प्रदेश सरकार की है।व वक्फ बोर्ड इस पर कब्जाधारी है।
साथ ही आज जिस तरह से नगर निगम शिमला के कमिश्नर भूपेंद्र कुमार अत्री जी के द्वारा मीडिया स्टेटमेंट में अवैध निर्माण की एक तरफ वकालत की गई वह समस्त सनातन समाज के लिए शर्मनाक विषय है, शायद अत्री जी भूल गए या उन्होंने पढ़ा नहीं की 1947 से पहले यह जगह 1945 ,1946 में राणा साहब बहादुर कोटी के नाम थी।
इनका मालिकआना हक था, 1952, 1953 में यह जगह अस्थाई सरकार के नाम गई ,उसके पश्चात हिमाचल प्रदेश सरकार का इसमें मालिकाना हक हुआ ।जो की जमाबंदी मेरे पास है ,उसमें सीधे शब्दों में लिखा गया है कि कब्जाधारी अहले इस्लाम यानी की मुस्लिम धर्म काश्तकार और मालिकाना हक राणा साहब बहादुर कोटी का है।
जिस प्रकार से भाई अनिरुद्ध सिंह राणा जी पंचायती राज एवं शहरी विकास मंत्री हिमाचल प्रदेश ने सदन के भीतर हिमाचल प्रदेश सरकार के मालिकाना हक के दस्तावेज प्रस्तुत किया मैं पूछना चाहता हूं भूपेंद्र कुमार अत्री जी से कि आप सदन में पेश किए हुए कागजों को झुठला देंगे, यह मामला हिमाचल प्रदेश के सनातन समाज की भावनाओं से जुड़ा है मुझे लगता है कि भूपेंद्र कुमार अत्री जी हैदराबाद के दबाव में आ गए हैं.
असल कागजों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, और इसमें उनके साथ हमें लगता है, कि अन्य अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। क्योंकि यह मामला एक मारपीट से शुरू हुआ था, एक युवक के सिर के ऊपर 14 टांके लगे ,गंभीर चोटे आई, इलाज करने वाले डॉक्टर को पीटा गया ,कहा तो अन्य नेताओं विधायकों को उस पीड़ित युवा जो की खैरी कोटखाई शिमला से है ,उसको न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए और कहां कुछ विधायक और नेता और प्रशासनिक अधिकारी अवैध निर्माण करने वाले लोगों के को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
मैं सीधे शब्दों में कहना चाहता हूं म्युनिसिपल कमिश्नर के बयान के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, प्रदेश का माहौल खराब हो सकता है, देवभूमि वालों का दबाव यह सहन नहीं कर पाएंगे।
हमें पूर्ण विश्वास है की 5 अक्टूबर की जो न्यायालय द्वारा सुनवाई की तारीख रखी गई है, उस समय पर पूरे प्रदेश का सनातन समाज अपनी ताकत दिखाएगा और सनातन समाज के खिलाफ़ जाने वालों का मजबूती से विरोध करेगा।
किसी भी कीमत पर ये अवैध निर्माण मस्जिद का वैध घोषित नही होने देंगें। और उसमें सनातन समाज और प्रदेश सरकार के हित में फैसला होगा। पहली बार सदन के भीतर इस विषय को लेकर अनिरुद्ध सिंह जी के द्वारा पूरी ताकत से चर्चा की गई। साथ ही मेरा निवेदन प्रदेश के समस्त सनातन समाज के भाई बहनों से मेरा निवेदन है कि जब लोकतांत्रिक कुर्सी पर बैठे हुए एक व्यक्ति ने हिम्मत की है तो हम सभी का कर्तव्य बनता है कि उस व्यक्ति का मनोबल बढ़ाने का काम किया जाए, ताकि और लोग भी हिम्मत करे। राजनीति करने के चक्कर में कहीं ऐसा न हो कि हम अपने सनातनी योद्धा का ही मनोबल कम कर दे।
साथ ही जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार से मेरा निवेदन है कि जब तक फैसला नहीं होता तब तक अवैध निर्माण मस्जिद में बिजली पानी को कट किया जाए साथ उसे किसी भी प्रकार की गतिविधि के लिए बंद किया जाए । ताकि उसमें किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि ना की जा सके इसलिए उसे जगह को पूर्णता बंद किया है।
असली दस्तावेज प्रस्तुत कर रहा हूं। जो उर्दू में भी है। अहले इस्लाम का कब्जा है,1945,1946 में मालिकाना हक राणा साहिब बहादुर सिंह कोटी का है।1952, 1953में अस्थाई सरकार का हक, उसके बाद प्रदेश सरकार का मालिकाना हक दर्ज है।
प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से अभी तक ये केस लटका रहा है शायद कुछ नेताओं की वजह से भी, पर अब नही। न्याय होगा और बिल्कुल होगा, न्याय के साथ बुल्डोजर चलाने हम सब आयेंगे।
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