सीपीएस मामले में भाजपा ने एक बार फिर प्रदेश सरकार को घेरा है आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में आर्थिक तंगी के बावजूद सीपीएस की नियुक्ति और उन्हें कैबिनेट रैंक देना सरासर गलत था ।
जिसके लिए अब न्यायालय ने भी अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इस मामले में सरकार को अब पीछे हटना ही होगा । उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार लोन ले रही है लेकिन बावजूद इसके प्रदेश की जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पा रही है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जनता के लिए नई सुविधा और संस्थान खोलने के बजाय स्कूल और अस्पतालों को बंद करने का काम किया है। राजीव मंडल ने दावा किया है कि अब जनता सरकार से परेशान है और यह सरकार अब चलने वाली नहीं है । आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की चारों सीटों में भाजपा को विजय मिलेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रदेश की जनता समर्थन देगी ।
राजीव बिंदल ने आज शिमला में एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बंद करने को लेकर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को लेकर हिमाचल में वह सामर्थ्य है कि यहां से तैयार उत्पादों को देश-विदेश तक पहुंचा जा सकता है और किसानो की आर्थिक को बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती को लेकर प्रदेश में बेहतरीन प्रयास किए थे और अब कांग्रेस सरकार इसे भी बंद करने जा रही है। यह सरकार की पिछड़ी सोच को दर्शाती है क्योंकि भाजपा द्वारा प्राकृतिक खेती को प्रदेश में चलाया गया था इसीलिए सरकार इसे बंद करने जा रही है ।
कांग्रेस अनुसूचित जाति जनजाति विभाग की बैठक, प्रतिभा बोली सक्रिय कार्यकर्ताओं को मिलना चाहिए मौका, हाईकमान से जल्द प्रत्याशियों की घोषणा की उठाई है मांग।
कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। आगामी रणनीति तय करने को लेकर कांग्रेस अनुसूचित जाति जनजाति विभाग की बैठक आज कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में हुई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह बैठक में शामिल हुई।
प्रतिभा सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के चलते हाईकमान को हिमाचल की भोगौलिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रत्याशियों की घोषणा जल्द करनी चाहिए। जिससे प्रत्याशियों को पर्याप्त समय मिल सके। उन्होंने कहा कि निष्क्रिय पदाधिकारियों को पद छोड़ देना चाहिए। सक्रिय पदाधिकारियों को ही दायित्व दिया जाना चाहिए।