➤ शिमला के संजौली में नमाज को लेकर मस्जिद के बाहर स्थानीय लोगों व मुस्लिम समुदाय में विवाद
➤ पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति शांत करवाई, बाहरी लोगों पर लगाया गया प्रवेश प्रतिबंध
➤ मस्जिद से जुड़ा पुराना विवाद फिर उभरा, अदालत व प्रशासनिक स्तर पर लंबे समय से चल रही सुनवाई
शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में गुरुवार सुबह नमाज पढ़ने को लेकर तनाव बढ़ गया। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में नमाज के लिए पहुंचे थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। विरोध कर रहे लोगों का आरोप था कि बाहरी राज्यों से आने वाले कुछ लोग पहले भी क्षेत्र का माहौल खराब कर चुके हैं।
स्थानीय महिलाओं ने बताया कि मस्जिद आने वाले कुछ बाहरी लोग घरों में तांक-झांक करते थे, जिससे स्थिति तनावपूर्ण बनी रहती थी। विवाद बढ़ने पर मौके पर पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों को समझाकर हालात को शांत किया। इसके बाद सिर्फ स्थानीय मुस्लिम लोगों को मस्जिद में प्रवेश की अनुमति दी गई, जबकि बाहरी व्यक्तियों पर प्रवेश रोक लगा दी गई।
यह विवाद कोई नया नहीं है। 31 अगस्त 2024 को मैहली में दो गुटों के बीच हुई मारपीट के बाद से मस्जिद विवाद गर्माया हुआ है। सितंबर 2024 में शिमला तथा संजौली-ढली में हिंदू संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए गए थे। विवाद के चलते संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद निगम आयुक्त की कोर्ट में पहुंचकर मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने की पेशकश तक कर दी थी।
इस मामले में पिछले एक साल में 50 से अधिक सुनवाई हो चुकी हैं। एमसी आयुक्त कोर्ट और जिला अदालत में आदेश, स्टे और बहसों के बीच मामला लगातार सुर्खियों में रहा। 30 अक्टूबर 2025 को अदालत ने मस्जिद विवाद से जुड़े आदेश पर अंतिम फैसला सुनाया, जिसके बाद स्थिति का सामाजिक असर अब भी देखा जा रहा है।
टाइमलाइन: संजौली मस्जिद विवाद में कब क्या हुआ?
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संजौली मस्जिद मामले में 50 से ज्यादा सुनवाई हुई
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31 अगस्त 2024: मैहली में दो गुटों की मारपीट से विवाद शुरू
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1 व 5 सितंबर 2024: शिमला में संगठनों का प्रदर्शन
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11 सितंबर 2024: संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन
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12 सितंबर 2024: मस्जिद कमेटी आयुक्त कोर्ट में पहुंची
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5 अक्तूबर 2024: तीन मंजिलें हटाने की अनुमति
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30 नवंबर 2024: याचिका खारिज
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3 मई 2025: दो और मंजिलें हटाने का आदेश
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17 मई 2025: आदेश के खिलाफ चुनौती
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26–29 मई: मस्जिद तोड़ने पर अंतरिम रोक बरकरार
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11 जुलाई: केस बहस योग्य
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6 सितंबर: सवा दो घंटे की बहस
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30 अक्तूबर: फैसला सुनाया गया



