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Video: भव्य पालकी में सवार बड़ी बहन से मिलने निकलीं मां शूलिनी, राज्य स्तरीय मेला शुरू

मां शूलिनी की भक्ति में डूबा सोलन, तीन दिवसीय मेला हुआ प्रारंभ
देवी शूलिनी की पालकी यात्रा से शुरू हुआ राज्य स्तरीय आयोजन, हजारों श्रद्धालु हुए शामिल
22 जून तक बहन दुर्गा माता के साथ रहेंगी मां शूलिनी, शोभायात्रा और भक्ति-भाव की अद्वितीय झलक

सोलन, हिमानी ठाकुर


हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी की भक्ति में पूरा नगर डूबा हुआ है। तीन दिवसीय राज्य स्तरीय शूलिनी मेला 2025 का शुभारंभ देवी की पारंपरिक पालकी यात्रा के साथ हो गया। वर्षभर की प्रतीक्षा के बाद जब मां शूलिनी अपने मंदिर से बहन दुर्गा माता से मिलने के लिए गंज बाजार की ओर चलीं, तो सारा सोलन श्रद्धा, आस्था और भक्ति में सराबोर हो गया।

शुक्रवार दोपहर लगभग 1:30 बजे, मां शूलिनी को पारंपरिक विधियों से पालकी पर सुसज्जित कर मंदिर से बाहर लाया गया। पुरानी कचहरी में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मां का स्वागत किया और उनसे प्रदेशवासियों की समृद्धि, सुख और शांति की प्रार्थना की। इसके बाद शहर की प्रमुख सड़कों से होकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, महिला मंडल, स्कूली बच्चे और स्थानीय कलाकार शामिल हुए।

शूलिनी माता को शक्ति की अधिष्ठात्री और सोलन की रक्षक देवी माना जाता है। मान्यता है कि मां शूलिनी अपनी बड़ी बहन दुर्गा माता से हर वर्ष मिलने जाती हैं, और तीन दिन वहीं ठहरती हैं। इन तीन दिनों में नगर में पर्व जैसा उत्सव, श्रद्धालुओं की रेलपेल, भजन-कीर्तन, झांकियां, और सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

गंज बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में 22 जून तक मां शूलिनी की मूर्ति प्रतिष्ठापित रहेगी, उसके बाद उन्हें पुनः पालकी में विधिवत वापिस शूलिनी पीठ लाया जाएगा। शोभायात्रा में ढोल-नगाड़े, पारंपरिक वेशभूषा में युवक-युवतियां, और रंग-बिरंगे बैंड दलों की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र बनी रही। लोगों ने अपने घरों की छतों से पुष्पवर्षा कर देवी का स्वागत किया।

शूलिनी मेले के दौरान मां शूलिनी के दर्शन मात्र से सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है, ऐसा माना जाता है। पालकी को उठाने का सौभाग्य वर्षभर की सेवा, व्रत और पुण्य से ही मिलता है। हर वर्ष हजारों की संख्या में बाहर से श्रद्धालु सिर्फ एक झलक पाने को सोलन आते हैं।

मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, यह हिमाचल की लोक-संस्कृति, सामाजिक समरसता और जन भागीदारी का प्रतीक बन चुका है। शूलिनी माता को सोलन की रक्षा देवी कहा जाता है, जिनके आशीर्वाद से नगर विपत्तियों से मुक्त रहता है। पौराणिक मान्यताओं में, मां शूलिनी को भगवती दुर्गा का रूप माना गया है, जो राक्षसों के नाश के लिए सृष्टि में अवतरित हुई थीं

सांस्कृतिक संध्याएं, स्थानीय से लेकर बॉलीवुड तक के कलाकार, हिमाचली लोक गीत और नाटी, लद्दाखी प्रस्तुतियां, सबकुछ मिलकर इस मेले को धार्मिक उत्सव से एक सांस्कृतिक उत्सव में परिवर्तित कर देते हैंबॉलीवुड गायक देव नेगी, सन्नी हिंदुस्तानी, कुलदीप शर्मा, बीरबल किन्नौरा और दिलीप सिरमौरी जैसे नाम यहां प्रस्तुति देकर जनता को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।

जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ड्यूटी पर पुलिस, होमगार्ड, ड्रोन कैमरे और सीसीटीवी के जरिए व्यवस्था चाकचौबंद रखी गई है।

मेला आयोजन समिति और प्रशासन ने स्थानीय व्यवसायियों के साथ मिलकर व्यवस्थित पार्किंग, पेयजल, स्वच्छता और शौचालयों की व्यवस्था की है ताकि श्रद्धालु बिना असुविधा के दर्शन और मेले का आनंद ले सकें।

श्रद्धा, संस्कृति और उत्सव का अनूठा संगम


हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर में आयोजित होने वाला शूलिनी मेला न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय परंपराओं का भव्य उत्सव भी है। हर वर्ष जून के अंतिम सप्ताह में तीन दिनों तक मनाया जाने वाला यह मेला शूलिनी देवी को समर्पित होता है, जिन्हें सोलन शहर की आराध्य देवी माना जाता है। इस बार भी तीन दिवसीय शूलिनी मेला हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और भव्य शोभायात्राओं का अद्भुत संगम देखने को मिला।

मेले की शुरुआत शूलिनी माता की विधिवत पूजा और आरती से होती है। इसके बाद माता की शोभायात्रा सोलन शहर के मुख्य बाजारों से गुजरती है, जिसे देखने और उसमें भाग लेने हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं। शाही ठाठ में निकली पालकी यात्रा, ढोल-नगाड़ों की गूंज, रंगबिरंगी सजावट और श्रद्धा से झुकी हुई आंखें इस यात्रा को एक आध्यात्मिक पर्व में बदल देती हैं।

मेले का दूसरा और तीसरा दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, लोक नृत्य, नाट्य प्रस्तुति और कवि सम्मेलनों से भरपूर रहता है। इस वर्ष हिमाचली कलाकारों के साथ-साथ बाहरी राज्यों के कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति से मेले की रौनक बढ़ा दी। स्थानीय स्कूलों और संस्थानों द्वारा भी रंगारंग कार्यक्रम पेश किए गए।

पुलिस और प्रशासन की ओर से मेले की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष इंतज़ाम किए गए। हजारों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए निगरानी ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे और बम निरोधक दस्ते भी तैनात किए गए। इसके साथ-साथ स्थानीय व्यवसायियों के लिए यह मेला आर्थिक संजीवनी भी बनता है, क्योंकि इस दौरान दुकानों और छोटे व्यापारियों को भारी लाभ मिलता है।

शूलिनी मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, यह एक सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण आयोजन है, जो सोलन को हिमाचल के सांस्कृतिक मानचित्र पर एक खास पहचान दिलाता है। इस मेले के ज़रिए जहां स्थानीय लोक परंपराएं जीवित रहती हैं, वहीं नवीन पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी मिलता है।

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