<p>जिला ऊना के अंबोटा स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री महाशिव मंदिर शिवबाड़ी सरकार के अधीन ही रहेगा। प्रदेश हाईकोर्ट ने 31 अगस्त 2017 को दिए फैसले के तहत मंदिर के अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था। प्रार्थियों ने इस फैसले को अपील के माध्यम से सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया। प्रदेश हाईकोर्ट में प्रार्थी अजय कुमार शर्मा और अन्य ने याचिका दायर कर सरकार के 26 फरवरी 2014 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके तहत श्री महाशिव मंदिर शिवबाड़ी का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया था।</p>
<p>प्रार्थियों का कहना था कि मंदिर की जागीर उनके पूर्वज नानकू को ब्रिटिश राज के समय तत्‍कालीन सरकार ने स्वयं दी थी। तब से लेकर आज तक प्रार्थी और उनके पूर्वज मंदिर को पारिवारिक संपति के तौर पर मानते आ रहे हैं। सरकार का कहना था कि नानकू को मंदिर की जागीर बतौर ट्रस्टी दी गई थी, इसलिए प्रार्थी भी इस मंदिर के ट्रस्टी के तौर पर ही माने जाने चाहिए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने ब्रिटिश सरकार और<br />
नानकू के बीच हुए करार का अवलोकन कर पाया कि नानकू ने ठाकुरद्वारा की तरफ से बतौर ट्रस्टी ब्रिटश सरकार से करार किया था। इसलिये नानकू को मंदिर का मालिक नहीं समझा जा सकता। जब प्रार्थियों का पूर्वज ही मंदिर का मालिक नहीं था तो प्रार्थी भी मंदिर के मालिक नहीं हो सकते। प्रार्थियों ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया।</p>
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