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माननीयों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के फैसले के बाद कर्मचारियों ने अपनी लंबित देनदारियों की मांग उठाई

  • संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीए एरियर और भत्तों की बढ़ोतरी की मांग की

  • 7 अप्रैल को महासंघ का सम्मेलन, सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति तय होगी


Himachal Govt Employees DA Arrears: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन माननीयों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी किए जाने के फैसले के बाद कर्मचारी संगठनों में असंतोष बढ़ गया है। इसी के चलते संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर सरकार से अपनी लंबित देनदारियों को जारी करने की मांग उठाई। महासंघ का कहना है कि महंगाई सिर्फ विधायकों और मंत्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए बढ़ी है, ऐसे में कर्मचारियों को भी उनका हक मिलना चाहिए।

संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार विधायकों और मंत्रियों की सैलरी में 24 से 26 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को पहले कर्मचारियों की लंबित देनदारियों पर ध्यान देना चाहिए था

कर्मचारियों की लंबित देनदारियां और मांगें

महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने बताया कि कर्मचारियों के वेतन में 2006 के बाद 2016 में बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, लेकिन यह 2022 में की गई। हालांकि, भत्तों में कोई वृद्धि नहीं हुई। पहले हिमाचल प्रदेश में पंजाब की तर्ज पर वेतन आयोग लागू होता था, लेकिन 2022 में इसे केंद्र सरकार की तर्ज पर कर दिया गया, जिससे हिमाचल के कर्मचारी पंजाब के मुकाबले पिछड़ गए

उन्होंने बताया कि 2023 से कर्मचारियों की डीए (महंगाई भत्ता) की चार किश्तें और एरियर अभी तक लंबित हैं। कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश में एक कर्मचारी का औसतन 5 लाख रुपये या उससे अधिक की देनदारी बकाया है, जिसे सरकार को जल्द जारी करना चाहिए।

7 अप्रैल को महासंघ का सम्मेलन

संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने 7 अप्रैल को एक सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है, जिसमें सरकार पर दबाव बनाने और आगामी रणनीति तैयार करने पर चर्चा होगी। महासंघ ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने कर्मचारियों की मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा