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छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशक से उठाई मांग, मीटिंग में लिए निर्णय को लिखित में करें जारी

पी. चंद, शिमला |

छात्र अभिभावक मंच ने निदेशक उच्चतर शिक्षा से मांग की है कि 16 मार्च को उनकी अध्यक्षता में शिक्षा विभाग के अधिकारियों और छात्र अभिभावक मंच पदाधिकारियों के मध्य हुई मीटिंग के निर्णय तुरन्त लिखित में जारी किए जाएं। मंच ने चेताया है कि अगर मीटिंग में किये गए वायदों पर तीन दिन के भीतर लिखित ऑर्डर जारी न किये गए तो मंच निदेशक का घेराव करने से गुरेज नहीं करेगा।
               
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उनका आंदोलन मुख्यतः स्कूलों द्वारा ली जा रही भारी फीसों के खिलाफ है। इसलिए आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि छात्रों व अभिभावकों को आर्थिक राहत नहीं मिलती है व कानून लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता के शिक्षा विभाग के तर्क की आड़ में मंच ठगने वाला नहीं है क्योंकि मंच केंद्र व राज्य सरकार तथा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के जिन आदेशों को लागू करने के लिखित कार्यवाही की मांग कर रहा है, वे सभी आदेश कई साल पहले के हैं और इनको लागू करने में चुनाव आयोग कभी भी मनाही नहीं करेगा। इसलिये इसकी आड़ में अगर मंच को बेवकूफ बनाने  की कोशिश की गई तो इस से आंदोलन उग्र ही होगा। आंदोलन की इस कड़ी में निदेशक कार्यालय का चौबीस घण्टे घेराव और निजी स्कूलों के बाहर प्रदर्शन आदि शामिल है।

उन्होंने कहा कि मंच अपने मांग पत्र को लेकर शीघ्र ही शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव शिक्षा से मिलेगा व उचित कार्रवाई की मांग करेगा। उन्होंने मांग की है कि प्राइवेट कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को संचालित करने के लिए बने स्टेट रेगुलेटरी कमीशन की तर्ज़ पर प्राइवेट स्कूलों को संचालित करने के लिए भी रेगुलेटरी कमीशन बने जिसमें अभिभावकों को भी उचित स्थान मिले।

उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इस सरकार को सत्ता में आये सवा एक वर्ष बीत चुका है परन्तु शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत आज तक राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग के वैबसाइट पर पिछली सरकार के समय बनी राज्य सलाहकार परिषद भी अपडेट नहीं हो पाई है जिसमें शामिल ज़्यादातर अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं। इसी से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर कितनी गम्भीर है।

उन्होंने मांग की है कि इस परिषद का तुरन्त गठन हो। उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी,लूट व भारी फीसों के संचालन के संदर्भ में निजी स्कूल(संचालन) अधिनियम 1997 व इसके तहत वर्ष 2003 में बने नियमों,वर्ष 2016 के माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेशों,शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बनने वाली राज्य सलाहकार परिषद को बनाने व मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पीटीए के गठन को लेकर जारी अधिसूचनाओं आदि को तुरन्त लागू करने की मांग की है।

उन्होंने कहा है कि जस्टिस तरलोक सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में दिए गए आदेशों के बिंदु 56 से 65 तक स्पष्ट रूप से प्राइवेट स्कूलों की लूट पर रोक लगाने की बात की गई है परन्तु प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इसी आदेश में उन्होंने साफ लिखा है कि जो स्कूल इस आदेश की अवहेलना करते हैं उन पर कंटेम्पट ऑफ कोर्ट का मुकद्दमा दायर किया जाए जोकि किसी स्कूल पर भी आदेशों की अवहेलना पर नहीं हुआ।