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2023 में दार्जिलिंग से लाए गए भारल की पर्यावरण के अनुसार अनुकूलन प्रक्रिया सफल रही
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जैव विविधता संरक्षण और इको-टूरिज्म को मिलेगा प्रोत्साहन
Blog: Prakram Chand
शिमला: हिमाचल प्रदेश के कुफरी स्थित हिमालयन नेचर पार्क ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यहां दुर्लभ नीली भेड़, जिसे स्थानीय भाषा में भारल (Pseudois nayaur) कहा जाता है, का सफल प्रजनन किया गया है। यह उपलब्धि पश्चिमी हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक ठोस और प्रेरणादायक कदम है।
लगभग 2,600 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित यह नेचर पार्क 13.73 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और यह देवदार, फर, स्प्रूस और बांज के घने जंगलों से घिरा हुआ है, जो उच्च हिमालयी प्रजातियों के लिए एक उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।
वर्ष 2023 में पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान, दार्जिलिंग के सहयोग से चलाए गए वन्यजीव आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत यहां तीन भारल लाए गए थे। पहले इन्हें क्वारंटीन में रखकर स्थानीय मौसम व पर्यावरण के अनुसार अनुकूलित किया गया और फिर इनको नियत बाड़ों में छोड़ा गया। यह योजना इतने कम समय में सफल प्रजनन तक पहुंच गई, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
भारल, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में एक अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि यह हिम तेंदुए (Snow Leopard) जैसे संकटग्रस्त शिकारी के लिए प्राकृतिक आहार श्रृंखला का हिस्सा है। इस प्रजाति की स्वस्थ आबादी, हिम तेंदुए जैसे प्रमुख शिकारी की स्थिरता सुनिश्चित करती है। इस सफल प्रजनन ने यह सिद्ध कर दिया है कि पार्क की संरक्षण रणनीतियाँ प्रभावशाली और दीर्घकालिक हैं।
भारल जैसे दुर्लभ वन्यजीवों की मौजूदगी से हिमालयन नेचर पार्क अब एक और बड़ा आकर्षण बन गया है। पर्यटक अब इन प्रजातियों को प्राकृतिक वातावरण में देखने का अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। यह न केवल पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय सतत पर्यटन को भी गति प्रदान करेगा।
भारल के सफल प्रजनन के बाद पार्क प्रशासन अन्य विलुप्त या संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण की योजनाओं पर भी काम कर रहा है। इसके साथ ही शैक्षिक जागरूकता, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और प्राकृतिक अनुसंधान के प्रयासों को भी आगे बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि पश्चिमी हिमालय की अद्वितीय जैव विविधता को सुरक्षित रखा जा सके।



