मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने धर्मपुर मंडल के तहत पूर्व जलशक्ति मंत्री के दामाद को नियमों को धत्ता बताते हुए दिये गए ठेकों के बारे में हिमाचल उच्च न्यायालय द्धारा लिए गये संज्ञान का स्वागत किया है।
जिसे माकपा द्धारा गत पांच वर्षों में यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में आवाज़ उठाना सही साबित हुआ है।पूर्व में धर्मपुर मण्डल में मंत्री के दामाद और उनके रिश्तेदारों को नियमों को ताक पर रखकर करोड़ो रुपये के टेंडर जारी होते थे।हाई कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए पूछा है कि जब मंत्री के दामाद पुराने कार्यों को पूरा न करने के लिए डिफाल्टर थे तो उन्हें किस आधार पर टेंडर जारी होते थे।
माकपा के सचिव व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व जलशक्ति मंत्री ने यहाँ एक एसडीओ को पांच साल एक्सईन के पद पर बैठाया था जो इस तरह के ग़लत कार्यों के लिए एक्सपर्ट थे लेकिन उनके खिलाफ भी कोई अभी तक नहीं हुई है।
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि माकपा और विपक्ष पूर्व मंत्री के ख़िलाफ़ लगातार पांच साल आवाज़ बुलंद करते रहे और विधानसभा चुनावों में उनके बेटे को हरा कर मंडी ज़िला में इतिहास रचा था।यहां की जनता व विपक्ष को ये उम्मीद थी इसके खिलाफ कार्यवाई होगी और इसी उम्मीद से उन्हें हराया है।
लेक़िन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बने हुए सात महीने होने वाले हैं लेक़िन धर्मपुर में हुए घोटालों के बारे में सरकार और यहाँ के विधायक चुप्पी साधे हुए हैं जिससे कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं और कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।
भपेंद्र सिंह ने कहा कि यदि यहां पर निष्पक्ष जांच की जाए तो केवल मंत्री के दामाद ही नहीं बल्कि उनके एक दर्जन रिस्तेदार और पार्टी नेताओं को भी इसी तरह से नियमों के विपरीत ठेके दिये गए हैं और करोड़ो रूपये की कमाई की गई है।
उन्होंने कहा कि केवल लोक निर्माण विभाग ही नहीं बल्कि जलशक्ति विभाग में इससे ज़्यादा सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है जिसमें एक ख़ास कंपनी को ही ठेके दिए गए थे जो अभी तक भी जारी हैं।इसी प्रकार बाग़वानी विभाग के शिवा प्रोजेक्ट में भी बड़े पैमाने पर भरस्टाचार हुआ है।
लेकिन जो कांग्रेस पार्टी और उसके विधायक इन सब मुद्दों के बारे में चुनावों से पहले कार्यवाई करने की बातें करते थे वे सब आज ख़ामोश हो गए हैं।भूपेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जब हाई कोर्ट ने इन गड़बड़ियों के बारे में कड़ा रुख अपनाया है तो सरकार को भी इसमें कार्यवाई करनी चाहिए।
अन्यथा सुखू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन का नारा खोखला ही साबित होगा और भरस्टाचार से समझौता करने और उस पर पर्दा डालने वाला ही साबित होगा।उन्होंने धर्मपुर में पिछली सरकार के मंत्री और उनके रिस्तेदारों तथा अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच शुरू करनी चाहिए और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाई करनी चाहिए।