<p>सुकेत के शासकों द्वारा निर्मित 300 साल पुराने सूरजकुंड मंदिर का अस्तित्व वर्तमान में खत्म होने की कगार पर है। मंदिर की भूमि को अतिक्रमणकारियों ने कब्जा करके मंदिर के द्वार को सिकुड़ कर के रख दिया है। ऐसा भी नहीं है कि मंदिर की सुरक्षा और देखरेख के लिए कोई नहीं है। सूर्य देव मंदिर कमेटी के देखरेख का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों के कंधों पर है और यहां से जो भी आय व्यय का लेखा जोखा होता आया है वह भी प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में ही हुआ है। लेकिन वर्तमान में इस मंदिर की जो कमेटी गठित की गई है। जिसमें कमेटी के अध्यक्ष पद का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम सुंदरनगर और सचिव का जिम्मा तहसीलदार सुंदरनगर को सौंपा गया है। जबकि संबंधित विधायक, नगर परिषद के पार्षद इस मंदिर की कमेट्टी के पदाधिकारी बनाए गए हैं। मंदिर में पुजारी वैतनिक रखा गया है।</p>
<p>लेकिन वर्तमान में सूर्य देव का यह इकलौता मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लडऩे में अकेला रह गया है। ना तो शासन ने इस और ध्यान केंद्रित किया है और ना ही प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई दिलचस्पी दिखाई है। जिसके कारण वर्तमान में अतिक्रमणकारियों ने इसके ऊपर कब्जा जमा लिया है जिस कारण ये मंदिर सिकुड़ कर रह गया है। सुंदरनगर की जनता ने इस मसले को कई बार मुख्यमंत्री के ध्यान में भी लाया गया और सूर्य देव मंदिर की जमीन को लेकर कई बार सवाल भी उठाए। लेकिन कोई भी कार्रवाई वर्तमान में सिरे चढ़ती नजर नहीं आई है। जिसके चलते इकलौते सूर्य देव मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों और श्रद्धालुओं में शासन और प्रशासन की कार्यप्रणाली के प्रति गहरा रोष व्याप्त है।</p>
<p>गौरतलब है कि सूरजकुंड मंदिर पूर्व सुकेत रियासत के महाराजा ने सन 1725 एड़ी में बनवाया था। यह मंदिर सुंदरनगर में महाराजा लक्ष्मण सेन मेमोरियल कॉलेज के पास एक पहाड़ी तलहटी में स्थित है। मंदिर में अष्ट धातु से बनी सूर्य देव की मूर्ति 30 किलोग्राम की बनी है और इसके साथ अष्ट धातु के दो घोड़ों का रथ लगा है। स्वतंत्रता के बाद सुंदरनगर के और मंदिरों समेत सूरजकुंड मंदिर का प्रबंधन मंदिर समय समय पर अध्यक्ष व सचिव प्रशासनिक ही रहे। सुकेत रियासत के हस्तांतरित के समय मंदिर के पास 14551 वर्ग मीटर भूमि के अतिरिक्त लगभग 700 की मुआफी मामला मंदिर के नाम चारों ओर बनी कच्ची इमारत, सराय व एक पानी का कुंड है।</p>
<p>उधर एसडीएम सुंदरनगर डॉ. अमित कुमार शर्मा का कहना है कि मंदिर के परिधि की निशानदेही करवाई जाएगी। अगर कोई अवैध कब्जे इस दौरान पाए गए तो तत्काल प्रभाव से हटाए जाएंगे। इस मसले में किसी भी कब्जाधारी को नहीं बख्शा जाएगा।</p>
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