हिमाचल

अध्यापक संघ ने जेसीसी के प्रारूप पर उठाए सवाल, सरकार से की ये मांगें

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार पर शिक्षकों की मांगों को अनदेखा करने का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि प्रदेश सरकार अपने आप को कर्मचारी हितैषी होने का दावा तो करती है लेकिन व्यवहारिकता में सरकार के 4 साल का कार्यकाल पूरा होने को जा रहा है और अभी तक सरकार ने शिक्षकों एवं कर्मचारियों के किसी भी मुद्दे को हल नहीं किया है। संघ ने सरकार पर शिक्षकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है।

संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हिमाचल में 90 हजार के आसपास शिक्षक कार्यरत हैं लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को सुनने के लिए जीसीसी जैसा कोई भी उचित प्लेटफार्म नहीं बनाया है। इससे शिक्षकों और शिक्षार्थी हित में मांगों पर चर्चा उपरांत उसका निराकरण किया जा सके। जेसीसी की बैठक का प्रारूप अपने आप में एक बेईमानी है क्योंकि इसमें शिक्षकों का इतना बड़ा वर्ग समायोजित नहीं किया गया है।

एनजीओ को मान्यता के स्थान पर लोकतांत्रिक तरीके से सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को चुनाव के माध्यम से जेसीसी के गठन करने की संघ लंबे समय से मांग कर रहा है। सरकार कुछ एक चाटुकार शिक्षक औऱ कर्मचारी नेताओं को खुश करने में लगी है और कर्मचारियों व शिक्षकों के मुद्दों के ऊपर मौन है जिसे कर्मचारी वर्ग लंबे समय से आस लगाए बैठे हैं। इसी वजह से कर्मचारियों में भारी रोष है और सरकार के प्रति कर्मचारियों की नाराजगी का अंदाजा इस चुनाव से लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशक उच्च की तानाशाही का अंदाज़ा आप 17.4.2011 को जारी अधिसूचना के द्वारा शिक्षक संघो की अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीनने का प्रयास से लगा सकते है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का छठा वेतन आयोग जो 1.1. 2016 से देय है को 5 वर्ष की अवधि बीत जाने पर भी सरकार द्वारा अभी तक इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया है। संघ ने सरकार से बार-बार आग्रह किया है कि वित्त नियमों पर भी हिमाचल को केंद्रीय वित्त आयोग का अनुसरण करना चाहिए अब तो पंजाब सरकार ने भी छठा वेतन आयोग लागू कर दिया है।

हिमाचल में इसे लागू करने की आवश्यकता है। संघ सरकार से मांग करता है कि प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों के भत्ते का भुगतान केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर किया जाए। प्रदेश के कर्मचारियों के लंबित 5% डीए का भुगतान तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए क्योंकि केंद्र सरकार बहुत पहले इसे जारी कर चुकी है और पंजाब ने भी एक मुश्त 11% डीए की किस्त जारी कर दी है इसलिए हिमाचल के कर्मचारियों को डीए कि किस्त देने के लिए किसी औपचारिक बैठक का इंतजार करना प्रदेश के कर्मचारियों के साथ बेईमानी है। उन्होंने विभाग में खाली पड़े पदों को भरने की मांग उठाई है।

Samachar First

Recent Posts

सामाजिक सरोकार में अग्रणी मंडी साक्षरता समिति को मिला विशेष सम्मान

Mandi Literacy Committee: हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति ने शनिवार को शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय…

5 minutes ago

हिमाचल में ठगी का बड़ा मामला: सेवानिवृत्त अधिकारी से एक करोड़ रुपये हड़पे

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है,…

15 minutes ago

शिमला में सोनिया-राहुल और प्रिंयका, वायनाड जीत के बाद नई राजनीतिक तैयारी पर चर्चा!

Priyanka Gandhi Wayanad victory: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी जल्द ही हिमाचल प्रदेश के शिमला पहुंचेंगी।…

29 minutes ago

उच्च पर्वतीय इलाकों में हिमपात से राहत , मैदानी क्षेत्रों में धूप ने बढ़ाई परेशानी

First Snowfall at Atal Tunnel: प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में 53 दिनों के लंबे…

2 hours ago

साल 2025 के त्योहार: जानें व्रत और पर्व की पूरी सूची

Major Indian festivals 2025: साल 2024 अब समाप्ति के करीब है और कुछ ही दिनों…

2 hours ago

सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा रविवार? पढ़ें आज का राशिफल

रविवार का दिन सभी 12 राशियों के लिए मिश्रित परिणाम लेकर आया है। चंद्रमा की…

3 hours ago