<p>कुल्लू फोरलेन संघर्ष समिति की बहुप्रतीक्षित व बहुचर्चित बैठक रविवार को कुल्लू के ढालपुर मैदान में आयोजित की गई। बैठक में भाजपा की ओर से वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने शिरकत की। लेकिन कांग्रेस की ओर से बैठक में भाग लेने कोई भी नहीं आया। इससे फोरलेन प्रभावितों में कांग्रेस के प्रति खासी नराजगी जाहिर दिखाई दे रही है। भाजपा की ओर से वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने जनता के सभी मुद्दों को आचार संहिता के बाद सुलझाने की बात कही।</p>
<p>उन्होंने कहा कि सरकार लगातार काम कर रही है और विस्थापितों के लिए काम करेंगे, जनता दवाब बनाए रखे ताकि सरकार सजग रहे, और काम करे। हिमाचल में अपनी तरह के पहले प्रयास में जिसमें जनता के मुद्दे जोकि अकसर राजनेताओं के एजेंडे से गायब रहते हैं व एक-दूसरे पर दोषारोपण कर मुद्दों को ठंडे बस्ते में डालने की कवायद चलती रहती है।</p>
<p>इस परिपाटी को तोड़कर दलों से उनका दृष्टिकोण जनता के दरबार में पूछने का सफल प्रयास फोरलेन संघर्ष समिति ने किया। प्रदेश के हजारों प्रत्यक्ष व परोक्ष रुप से प्रभावितों के हकों की लड़ाई लड़ रही फोरलेन संघर्ष समिति ने समिति के अध्यक्ष सेवा निवृत ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की अध्यक्षता में कुल्लू में सैकड़ों प्रभावितों ने भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को फोरलेन संघर्ष समिति चार साल से चली आ रही मांगों जिनमें चार गुना मुआवजा, पुनस्थापन और पुनर्वास के अतिरिक्त टीसीपी औरपांच मीटर कंट्रोल विड्थ आदि मांगे मुख्य है पर अपना-अपना स्टैंड स्पष्ट करने को कहा। समिति 2015 से बार-बार सरकार के सामने चार गुना मुआवजा, पुनस्र्थापन व पुनर्वास सहित अन्य मुद्दों पर अपने पक्ष को रखती आ रही है।</p>
<p>2015 से चल रहे इन विवादों पर चार साल बीत जाने पर भी हिमाचल में न तो कांग्रेस और न ही वर्तमान में भाजपा सरकार द्वारा कोई निर्णय लिया। आज हजारों प्रभावितों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। साथ ही प्रभावितों को आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला है। 2017 के चुनावों के दौरान भाजपा ने अपने विजन डॉक्यूमेंट में चार गुना मुआवजा देने की बात कही। इस चुनाव में कांग्रेस की हार हुई, भाजपा सत्ता पर काबिज हुई। अब भाजपा को सत्तासीन हुए करीब सवा साल से अधिक हो गया है, परंतु भू अधिग्रहण के प्रभावितों को आज तक न तो चार गुणा मुआवजा मिला, ना ही पुनस्थापन व पुनर्वास का कोई कारवाई हो पाई है। यहां तक कि पुनस्र्थापन व पुनर्वास के लाभार्थी कौन है, चिन्हित करने की प्रक्रिया भी अमल में नहीं लाई गई है। </p>
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