हिमाचल में बंदरो की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है. पिछले 7 सालों के दौरान प्रदेश में बंदरो की संख्या साढ़े तीन लाख से घटकर 1.36 लाख रह गई है. राज्य में बंदरों की आबादी में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा, उनकी औसत मंडली का आकार भी कम हो गया है.
प्रदेश में 71वां वाइल्ड लाइफ वीक मनाया जा रहा है. जिसमें लोगों को जागरूक किया जा रहा है. 2 अक्टूबर से लेकर 8 अक्टूबर तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है. जिसमें कई तरह की कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिनमें मैराथन, बाइक रैली, ग्रीन फिल्म मेकिंग, बुक फेस्टिवल और वन्य प्राणी से संबंधित प्रदर्शनी लगाई जा रही है.
वहीं, वन विभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव राजीव कुमार ने बताया कि प्रदेश के लोग वन्य प्राणी प्रेमी है. लोग वन्य प्राणियों के बारे में जाने जिसके लिए जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है. प्रदेश में तेंदुआ, भालू व बंदरो के बीच संघर्ष रहता है. जिनमें बन्दरों से ज्यादा परेशानी है.
उन्होंने कहा कि वन विभाग की वन्यजीव शाखा की बहुआयामी रणनीति के तहत नसबंदी सहित बंदरों की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न उपायों जैसे नसबंदी, बेहतर कचरा प्रबंधन, व्यापक जन जागरूकता अभियान से बंदरो की आबादी में गिरावट दर्ज की जा रही है.
राजीव कुमार के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरो की संख्या में कमी आई है. शहरी इलाकों में गंदगी व खाने के लिए अब भी बन्दर झपटते है. गांव के मुकाबले शहरों में बन्दर अभी भी ज्यादा हैं. “राज्य में आठ बंदर नसबंदी केंद्र चालू हैं, जहां हर साल 35,000 सिमियन की नसबंदी की जाती है. अब तक पौने दो लाख बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है.