हिमाचल

प्रदेश के कोने कोने से आए युवा मोदी के ना आने से हुए मायूस

प्रदेश में शनिवार सुबह चार बजे से मंडी पहुंचने शुरू हुए प्रदेश के कोने-कोने से आ रहे युवाओं को उस समय भारी मायूसी हुई. जब दोपहर 12 बजे अचानक मौसम ने तेवर बदले और झमाझम बारिश शुरू हो गई.

उस वक्त तक मंडी के ऐतिहासिक पड्डल मैदान में खुले आसमान के नीचे प्रदेश भर से आए युवाओं व अन्य लोगों की अपार भीड़ जुट चुकी थी तथा मोदी को देखने सुनने के लिए उत्साह व रोमांच चरम सीमा पर पहुंच चुका था.

लिकन अचानक 12 बजे आसमान में आए काले बादलों ने जब बरसना शुरू किया. तो धीरे-धीरे एक मायूसी का माहौल बनने लगा. तभी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंच पर पहुंचे और चंद मिनट के संबोधन में उन्होंने ऐलान कर दिया.

खराब मौसम के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हेलीकाप्टर मंडी नहीं आ रहे है और वह दिल्ली से अपना वर्चुअल संबोधन करेंगे. इसके बाद लोगों ने बारिश से बचाव के लिए बैठने के लिए रखी कुर्सियां सिर पर रख ली. तो बहुत से ऐसे भी थे. जिन्होंने जगह-जगह लगाए गए वरिष्ठ नेताओं के पोस्टर वाले होर्डिंग्स उखाड़ कर उन्हें छत्त बना कर अपना बचाव किया.

वहीं, सभी ने प्रधानमंत्री का वर्चुअल संबोधन सुना. युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अमित ठाकुर ने दावा जताया कि इस रैली में प्रदेश डोडरा क्वार से लेकर कंडवाल नूरपुर, व ऊना के संतोषगढ़ से लेकर लाहुल के टशीगंगा व चंबा में जम्मू कशमीर की सीमा पर स्थित सलूणी तक फैले सभी 17 संगठनात्मक जिलों के 75 खंडों में स्थापित 7182 बूथों से युवा इस रैली में आए हैं. उनके अनुसार एक लाख से अधिक युवा यहां पर पहुंचे हैं.

युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष का यह भी दावा था कि प्रदेश के हर बूथ पर 20 युवाओं को तैयार किया गया है, इनका डिजिटल डॉटा रखा गया है, हर युवा को आई कार्ड जारी किया गया है और मोर्चा का पूरा काम पेपरलैस है.

उन्होंने युवाओं से यह भी आह्वान किया कि जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर आएं. तो सभी युवा अपना-अपना आई कार्ड हवा में लहराएं. ताकि उन्हें यह मालूम हो सके कि प्रदेश के इतने युवा यहां पर आकर पहुंचे हैं.

उन्होंने मौके पर सभी युवाओं को ऐसा करके दिखाने को कहा तो सभी ने अपने-अपने कार्ड को हवा में लहरा कर अपना परिचय दिया. 12 बजे तक मौसम ठीक रहा मगर इसके बाद जब यह कहा जाने लगा कि कुछ ही क्षणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंडी पहुंचने वाले हैं तो हल्की बारिश शुरू हो गई. देखते देखते यह बारिश तेज हो गई और लोग पड्डल मैदान छोड़ने लगे.

जनसमूह इतना अधिक तथा कि मैदान से निकलने वाले सभी रास्ते कम पड़ गए. पूरे मंडी शहर में लोग ही लोग नजर आने लगे.

सुबह से ही इंतजार में बैठे लोग प्रधानमंत्री के ना आने से मायूस हुए और फिर अपने को किसी तरह बारिश से बचाते हुए बाजारों से होकर अपने-अपने वाहनों की ओर बढ़े. मंडी को जोड़ने वाले सभी मार्गो व मंडी शहर में रैली के कारण घंटों तक जाम की स्थिति बनी रही. जो दोपहर बाद ही सामान्य हो पाई.

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी इस रैली में दोपहर 12 बजे आ गए थे. वह काफी समय तक मंच पर बैठे रहे, मगर जब यह साफ हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं आ रहे हैं. तो उन्होंने भी मंच पर ही मुख्यमंत्री व अन्य नेताओं के साथ प्रधानमंत्री का वर्चुअल संबोधन सुना और फिर चले गए.

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने पहले ही स्वास्थ्य का हवाला देते हुए रैली में न आने का संकेत दे दिया था. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर हो सकता प्रधानमंत्री के साथ आते, क्योंकि वह मंच या पड्डल मैदान में नहीं पहुंचे थे.

मंडी के पड्डल मैदान में प्रधानमंत्री के आने का रोमांच इतना अधिक बढ़ गया था कि जैसे ही मंच से पहाड़ी नाटी का गाना गूंजने लगा तो मंच पर मौजूद नेताओं के साथ साथ मैदान में एक अलग उंचे मचान पर बैठे मंत्रीगण, पूर्व मंत्रीगण,विधायकगण, पूर्व विधायकगण, सांसद, पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ नेता भी अपने अपने स्थान पर खडे होकर नाचने लगे.

एक ब्लाक में बैठे बजंतरियों ने ढोल, नगाड़ों, करनालों ,रणसिंघों व शहनाई की देव ध्वनि से पूरे वातावरण को गूंजायमान कर दिया. युवा मोर्चो की टोलियां व पारंपरिक वेशभूषा में पांगी, सिरमौर, किन्नौर, लाहुल, चंबा व अन्य दुर्गम क्षेत्रों से आई महिलाएं भी नाचती गाती रही. बारिश से पहले यह नजारा देखते ही बनता था.

रैली स्थल पड्डल व उसके आसपास बड़े क्षेत्र के साथ-साथ हर मार्ग को झंडों, होर्डिंग्स व नेताओं के चित्रों वाले बैनरों से सजाया गया था. मगर शहर में अन्य व्यवस्थाएं नाकाम दिखी. सुबह चार पांच बजे जब गाड़ियां मंडी पहुंचने लगी, विक्टोरिया पुल के नीचे ब्यास नदी किनारे बनाई पार्किंग में खड़ी की जाने लगी तो नए पुल समेत चारों ओर अंधेरा छाया था. नए पुल की सभी लाइटें बंद थी.

वाहन चालकों को मोबाइल की रौशनी से गाड़ियां पार्क करवानी पड़ी. यहां तक कि लोगों को मोबाइल की लाइट जगाकर नदी किनारे ही शौच आदि जाना पड़ा. इसी तरह की व्यवस्था शहर के दूसरे भागों में भी देखी गई.

मंडी जनपद के बड़ा देओ देव कमरूनाग को बारिश देने व रोकने वाला देवता माना जाता है. आयोजक बार बार देवता से यही गुहार लगा रहे थे कि कुछ घंटे तक बारिश रूकी रहे और यह रैली हो जाए,.

इसी मंशा से देव कमरूनाग पर बना गाना भी मंच पर चलाया गया, मगर ऐन मौके पर बारिश ने इतनी बड़ी मेहनत जिसके बारे में युवा मोर्चा का दावा है कि तीन महीनों से तैयारियां चल रही थी व सरकार व पार्टी ने इस आयोजन में बड़ा पैसा खर्चा था को धो दिया.

ऐसे में लगता है कि आयोजकों से देव कमरूनाग भी खुश नहीं थे. अब देव कमरूनाग खुश क्यों नहीं थे, इसे लेकर आयोजकों को गंभीरता से सोच कर आगे से अपनी गलती को सुधारना चाहिए.

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