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तिब्बती मना रहे नए वर्ष ‘लोसर’ का जश्न, दीपावली की तरह मनाया जाता है त्यौहार

डेस्क |

तिब्बती समुदाय मैक्लोडगंज और धर्मशाला में आज तिब्बती नववर्ष लोसर पर्व मना रहा है। तिब्बती समुदाय के लोग हर वर्ष नववर्ष के शुभारंभ के सप्ताह को लोसर के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही पूचा अर्चना करके परमपावन दलाईलामा की लंबी उम्र और अपने देश की आजादी की कामना करते हैं। इसी के साथ-साथ 2 साल के बाद तिब्बती मुख्य बौद्ध मंदिर दलाईलामा सुंगलाखांग को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।

इस वर्ष के तिब्बती वर्ष को वाटर टाइगर वर्ष के रूप में भी मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि जिस तरह से देश में हिंदुओं का पर्व दीपावली को मनाया जाता है उसी तरह से तिब्बती समुदाय के लोग लोसर पर्व को भी मनाते हैं। जिस तरह से दिपावली से पहले घरों में साफ सफाई की जाती है और रंग रोगन आदि किए जाते हैं। विभिन्न तरह के व्यंजन तैयार किए जाते हैं और एक दूसरे को उपहार दिए जाते हैं, उसी तरह से लोसर पर भी तिब्बती अपने घरों की साफ सफाई करते हैं और घरों में रंग रोगन भी करते हैं।

लोसर पर यह भी है विशेष परंपरा

लोसर पर्व पर एक विशेष परंपरा यह भी है कि तिब्बती समुदाय के लोग कोरा वाक और विशेष पूजा करते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बार की कोरा वॉक और विशेष पूजा पांच मार्च को सुबह साढ़े सात बजे शुरू हो रही है। इस धार्मिक यात्रा कोरा वॉक और पूजा में तिब्बती समुदाय के लोग दलाईलामा के मंदिर की परिक्रमा करेंगे। तिब्बती सुबह साढ़े सात बजे इस धार्मिक यात्रा को कर दलाईलामा मंदिर की परिक्रमा करते हैं। इसे कोरा वाक कहते हैं।

कोरा वाक के साथ लाहगेयरी में यह विशेष पूजा होगी। मैक्लोडगंज में नागनी माता मंदिर के दरवाजे से दाएं तरफ को पाथ बना है उससे कुछ आगे जाकर यह लाहगेयरी स्थल है। यहां पर कोरा मंदिर में पूजा होगी और कोरा वाक होगी।