21वीं सदी में मेडिकल साइस ने बहुत तरक्की कर ली है. किसी भी बिमारी का इलाज अब आसानी सेकिया जा रहा है, लेकिन आज भी वर्षों पुरानी आयुर्वेदिक पद्धति से लोग इलाज करवा कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. जोंक लीच थेरेपी पद्धति से गैंग्रीन, यूरिक एसिड, जोड़ों का दर्द, खुजली, शूगर व हृदय रोग से ग्रस्ति रोगियों के लिए बरदान साबित होने लगी है. लंबे समय से इन जानलेबा बिमारियों से परेशान रोगियों में आयुर्वेद तरीके हो रहे उपचार के प्रति विश्वास दो गुणा बढ़ा है.
हिमाचल प्रदेश में जोंक लीच थेरेपी पद्धिति में ऐसी बिमारियों का इलाज बहुत कम होता है लेकिन हमीरपुर जिला के भोरंज उपमंडल के अंतर्गत आने वाले हेल्थ एंड बेलनेस सेंटर आयुर्वेदिक उप स्वास्थ्य केंद्र मुंड़खर में भोरंज और सुजानपुर के करीब एक दर्जन लोगएक माह से अपना इलाज करवा कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. आयुर्वेद में वर्णित जलोका द्वारा रक्तमोक्षण चिकित्सा का इतिहास बहुत पुराना है.
अथर्ववेद में भी है जोंक लीच का प्रयोग….
इसका उल्लेख वैदिक काल में अथर्ववेद में भी है.जोंक लीच का प्रयोग रक्तमोक्षण के लिए अनु शास्त्र के रूप में होता है. जोंक द्वारा कुछ मात्रा में रोगी के शरीर से अशुद्ध रक्त को निकाला जाता है.जिस प्रकार हंस केवल दूध पीता है और पानी को छोड़ देती है.उसी तरह जोंक रोगी के शरीर के अशुद्ध रक्त को निकाल लेती है तथा शुद्ध रक्त को छोड़ देती है. इस पद्धति को प्रयोग मुख्य रूप से पित्त दोष से उत्पन्न बीमारियों, व्याधियों तथा वात दोष से उत्पन पीड़ा को कम करने के लिए किया जा रहा है. जोंक अर्थात जलौका अपने मुख से हिरूडीन, कैरिन, डैस्टाविलीस व अन्य कई प्रकार के एंजाइम्स रोगी के शरीर में प्रवेश कराती है. इससे रोगी के शरीर में रक्त स्कंदन नहीं होता तथा रक्त का सरकुलेशन बढ़ जाता है.
इससे रोगी के शरीर की पीड़ा कम हो जाती है. संधिवात जिसमें घुटनों में पीड़ा होती है.उसमें जोंक घुटने की पीड़ा कम कर सूजन को कम कर देती है.रक्त के कारण यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने में भी जोंक रक्तमोक्षण करके करके बहुत अच्छा लाभ पहुंचाती है. शरीर के रक्त प्रवाह से कम होने वाली गैंग्रीन व हार्टब्लॉकेज के लिये भी लीच थेरेपी लाभदायक सिद्ध हो रही है. सुजानपुर के रूप सिंह, गैंग्रीन, जाहू के वंदना व निर्मला देवी संधिवात, भानू प्रताप लदरौर का वेरीकोस वेन का इलाज सफलता पूर्वक किया गया है. इसके आलावा अन्य रोगियों का उपचार भी चला है.
जानिए क्या है जोंक लीच थेरेपी…
जोंक थेरेपी में जोंक को शरीर के उस भाग पर रखा जाता है, जहां समस्या होती है.खून से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए जोंक से चुसवाया जाता है.जोंक रोगी के शरीर से खून चुसने के दौरान खून में अपनी लार से हीरूडीन तथा अन्य नामक रसायन मिला देती है.इससे खून का प्रवाह उस हिस्से में बढ़ जाता है.जिससे शुद्ध रक्त उस भाग पर प्रवाहित होने लगता है।
क्या कहते हैं आयुर्वेदिक उप स्वास्थ्य केंद्र मुंड़खर के प्रभारी…
आयुर्वेदिक उप स्वास्थ्य केंद्र मुंड़खर के प्रभारी डा. विजेंद्र सिंह बैंस का कहना है कि एक माह से गैंग्रीन, यूरिक एसिड़ ,जोडों का दर्द व अन्य रोगों का जोंक लीच थेरेपी से उपचार किया जा रहा है. इससे रोगियों को काफी लाभ मिला है तथा आयुर्वेदिक पद्धति के प्रति विश्वास बढ़ा है. उन्होंने बताया कि उपचार के लिए जोंक को बिहार के मुजफ्फरपुर लीच फार्म से मंगवाया जा रहा है.जोंक रोगी के शरीर से अशुद्ध खुन को चूसने की प्रकिया को 15 से 20 मिनट में पुरा करके छोड़ देती है.
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